नई दिल्ली. पशुओं को गर्मी के मौसम में ज्यादा पानी की जरूरत होती है. गर्मी में पानी की कमी होने के कारण उनकी सेहत के खराब होने का खतरा मंडराता रहता है. वहीं इसका असर प्रोडक्शन पर पड़ता है. पानी कमी हो गई तो पशु हांफने भी लग जाते हैं. अगर पशु पूरी तरह से फिट नहीं रहेंगे तो फिर जाहिर सी बात है कि दूध उत्पादन नहीं कर पाएंगे. इसलिए पशुपालकों को हमेशा ही इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि किसी भी स्थिति में पशुओं के शरीर में पानी की कमी न होने दें. गर्मी में पशुओं के पास प्रर्याप्त ठंडा पानी उपलब्ध रहना चाहिए ताकि पशु प्यासे न रह जाएं.
एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं को पेयजल की आवश्यकता उनके जिस्म, शरीर भार, आहार की किस्म, कियाशीलता एवं मौसम के ऊपर निर्भर करती है. पशुओं को पानी भरपेट दिया जाना चाहिये फिर भी एनिमल एक्सपर्ट ये कहते हैं कि कम गर्मी में 3 बार तथा शीतकाल में 2 बार जल पिलाना ही चाहिए. ऐसा करने से पशु उत्पादन कम नहीं करेंगे. क्योंकि पशुओं के दूध में ज्यादा मात्रा में पानी ही होता है. अगर पानी की कमी हो जाएगी तो फिर इससे पशुओं को बेहद ही दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
पानी पिलाना इसलिए भी जरूरी है
एक्स्पर्ट ये भी कहते हैं कि पशुओं में पानी की कमी से पेशाब पीला होने लग जाता है. इसके चलते उनके शरीर से जितना टॉक्सीन बाहर निकलना चाहिए, वो नहीं निकल पाता है. उनके शरीर से टॉक्सीन बाहर निकलना भी बेहद जरूरी है. अगर ऐसा नहीं होगा तो पशुओं की सेहत पर इससे भी फर्क पड़ता है. अगर सामान्य दशाओं में गाय एवं भैंसों के शरीर को कम से कम 27-28 लीटर पेयजल प्रतिदिन देना ही चाहिए. इतना पानी अगर पशुओं को नहीं दिया जाता तो आने वाले समय में दिक्कतें हो सकती हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि 2 लीटर पानी यदि 5 लीटर दूध उत्पादन हो रहा है तो 10 लीटर अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होगी.
गाय एवं भैंस के बछड़े-बछियों के लिए
1- शीतकाल में 12 लीटर जल
2- ग्रीष्मकाल में 28 लीटर जल
ओसर भैंस के लिए
1- शीतकाल में 27 लीटर जल
2- ग्रीष्मकाल में 55 लीटर जल
दूध न देने वाली वयस्क गाय एवं भैंस के लिए
1- शीतकाल में 45 लीटर जल
2- ग्रीष्मकाल में 56 लीटर जल
दुधारू गाय एवं भैंस के लिए
1- शीतकाल में 58 से 60 लीटर
2- ग्रीष्मकाल में 63 से 65 लीटर
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