नई दिल्ली. पशुपालन व्यवसाय तभी फायदेमंद साबित होता है, जब पशुपालकों को पशुओं के खान-पान के साथ-साथ रहन-सहन आदि की भी सटीक जानकारी होती है. अक्सर यह देखा गया है कि पशुपालक पशुओं के खान-पान की व्यवस्था तो बेहतर करते हैं लेकिन उनके आवास रहन-सहन की व्यवस्था उतनी अच्छी नहीं होती, जिस वजह से पशुओं को कई तरह की दिक्कतें होती हैं. जिसका असर उत्पादन पर ही पड़ता है. पशु वैज्ञानिकों का मानना है कि पशुपालक आमतौर पर पशु-पोषण चिकित्सा एवं प्रजनन पर तो ध्यान देते हैं लेकिन आवास व्यवस्था को नजरअंदाज कर देते हैं जो सही नहीं है.
आवास के बाहर पेड़ लगना चाहिए
पशु वैज्ञानिकों का कहना है कि पशु के आवास की लंबाई उत्तर दक्षिण में रखना चाहिए. जिससे पूर्वा तथा पछुआ दोनों तरह की हवाओं का लाभ पशुओं को मिल सके. सर्दी के मौसम में कुछ कुछ छोड़कर अतिरिक्त खिड़कियों एवं दरवाजा को बंद कर देना भीतर होता है. क्योंकि इससे पशुओं को सर्दियों से बचाया जा सकता है. छत को किसी भी सस्ते तथा स्थानीय सामग्री से बनाई जा सकती है. जिसका मुख्य उद्देश्य पशु के आवास का तापमान 25 से 32 डिग्री सेल्सियस बनाए रखना है. इसके लिए दक्षिण पश्चिम दिशा में उचित हैदर पेड़ भी लगाया जा सकते हैं.
उत्पादन घट जाता है
पशु वैज्ञानिकों का कहना है कि पशुपालक पशु पोषण चिकित्सा एवं प्रजनन की ओर खूब ध्यान देते हैं, लेकिन आवास की व्यवस्था में उतनी रुचि नहीं लेते. उचित आवास न होने से पशुओं के उत्पादन एवं वृद्धि पर बुरा असर पड़ता है. संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है और अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी की वजह पशु अपनी ऊर्जा का प्रयोग वातावरण से जूझने में ही कर देता है. जिससे उत्पादन पर असर होता है उचित आवास के लिए जरूरी है कि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए. पशु वैज्ञानिकों के मुताबिक पशुओं को आमतौर पर बांधकर पाला जाता है कुछ समय के लिए सुविधा अनुसार चराने के लिए जरूर खोला जाता है.
40 डिग्री ऊपर न जाए तापमान
इसलिए घर ऊंचे स्थान पर बनाना चाहिए, जहां जल निकासी की समुचित व्यवस्था हो. छत की लंबाई छत की ऊंचाई 2.5 मीटर से काम नहीं रखनी चाहिए. जिससे ग्रीष्म काल में छत की गर्मी पशुओं को प्रभावित न कर सके. याद रखें पशुशाला की छत की ऊंचाई 2.5 मीटर से काम नहीं रखनी चाहिए. जिससे गर्मी के दिनों में छत की गर्मी पशुओं को प्रभावित न कर सके. याद रखें, पशुशाला का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस ऊपर चला जाता है तो पशु मद में नहीं आता है. इसलिए गर्मी के मौसम में पशुशाला की छत अगर पक्की हो तो उसके ऊपर घास फूस पराली आदि डालकर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए. ताकि 40 डिग्री के नीचे तापमान बना रहे.
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