नई दिल्ली. मक्का देश में तीसरा सबसे अधिक उगाया जाने वाला अनाज है. बदलते वक्त के साथ-साथ इसका महत्व और ज्यादा बढ़ गया है, क्योंकि यह न सिर्फ इंसानों के ही खाने के काम नहीं आता है बल्कि पोल्ट्री इंडस्ट्री भी जरूरत है. अब यह एनर्जी क्रॉप के तौर पर भी बहुत तेजी से उभर रहा है. क्योंकि इसका उपयोग इथेनॉल बनाने में किया जा रहा है. ताकि पेट्रोल के साथ मिलाया जा रहा है. जिससे देश में पेट्रोलियम का आयात कम और अन्नदाताओं को फायदा ज्यादा हो. किसान अन्नदाता के साथ ही ऊर्जादाता भी बने, लेकिन दिक्कत यह है कि इसका अभी उतना उत्पादन नहीं है जितना कि फूड और फीड और फ्यूल के लिए जरूरत है. ऐसे में पर्याप्त उत्पादन की जरूरत है.
इसके लिए केंद्र सरकार ने “इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि” नाम से प्रोजेक्ट शुरू किया है. जिसकी जिम्मेदारी आईसीएआर के अंडर आने वाले भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) को दी गई है. इसके जरिए मक्का उत्पादन बढ़ाया जाएगा. इस मुहिम में एफपीओ, किसान, डिस्टिलरी और बीज उद्योग को साथ लेकर काम किया जाएगा. इसके तहत इस समय किसानों को ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों के बीजों का वितरण किया जा रहा है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में डीएचएम-117 और डीएचएम-121 किस्म के 3000 किलो बीज अब तक बांट दिए गए हैं.
78 जिलों में शामिल किया गया है
जानकारी के लिए बता दें कि इस प्रोजक्ट को लीड कर रहे आईआईएमआर के वरिष्ठ मक्का वैज्ञानिक डॉ. एसएल जाट ने इस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत पूरे भारत में 15 राज्यों में 15 कलस्टर बनाए गए हैं. इसके तहत 78 जिलों को शामिल किया गया है, जहां मक्का का उत्पादन बढ़ाने का अभियान चलेगा. इन 15 राज्यों में आंध्र प्रदेश, असम, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, उत्तराखंड, कर्नाटक और हरियाणा शामिल हैं.
1500 एकड़ में होगी मक्के की बुवाई
इसके तहत 1500 एकड़ में मक्के की बुवाई की जानी है. जिसमें से खरीफ 2024 सीजन में 1140 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है. सभी संबंधित जिलों में इसके लिए उन्नत बीज बांटे जा रहे हैं. अभी तक बायोसीड, डीएमएच 117, डीएमएच 122, डीएमआरएच 1308, पायनियर 3401, पायनियर 3396, डीकेसी 9144, डीकेसी 9133 और डीकेसी 9178 के साथ-साथ कोर्टेवा, बायोसीड, बेयर जैसी कंपनियों के बीजों को भी शामिल किया गया है.
मक्का में लगता बहुत कम पानी
भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. हनुमान सहाय जाट ने कहा कि सरकार इथेनॉल का अधिक उत्पादन करना चाहती है. इसके लिए मक्का के अधिक उत्पादन की जरूरत है. केंद्र सरकार ने 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है. इथेनॉल का उत्पादन गन्ना, मक्का और कटे चावल से प्रमुख तौर पर होता है. लेकिन गन्ने और धान की फसल में ज्यादा पानी की खपत होती है, जबकि मक्का में बहुत कम पानी लगता है. इसलिए इथेनॉल के लिए मक्के का उपयोग करना प्रकृति के लिए भी अच्छा रहेगा.
कितना हुआ था पिछले साल उत्पादन
इसके लिए आईआईएमआर 15 राज्यों के 78 जिलों के 15 जलग्रहण क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रबंधन प्रथाओं और उन्नत किस्मों का प्रसार कर रहा है, ताकि मक्का का उत्पादन बढ़े. कृषि मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में मक्का उत्पादन में 10 मिलियन टन की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा है. वजह यह है कि पोल्ट्री फीड के लिए मक्के की मांग बढ़ ही रही है, साथ में इथेनॉल उत्पादन के लिए उत्पादन बढ़ना बहुत जरूरी है. कृषि मंत्रालय के अनुसार 2022-23 में खरीफ, रबी और ग्रीष्मकालीन तीनों मिलाकर 380.85 लाख मीट्रिक टन यानी लगभग 38 मिलियन टन मक्का का उत्पादन हुआ था. जिसे बढ़ाना समय की मांग है और इस मुहिम में आईआईएमआर जुट गया है.
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