नई दिल्ली. आज जरूरत है कि बकरी पालक को एक टिकाऊ बाजार दिया जाए. जहां वो अच्छे मुनाफे पर अपने बकरे बेच सकें. जरूरत है कि किसान और प्रोसेसिंग यूनिट चलाने वालों के बीच से ब्रोकर हटा दिए जाएं. किसान को किसी भी मायने में सलाह की नहीं सिर्फ बाजार की जरूरत है. ये कहना है कि युवान गोट फार्म आगरा के संचालक डीके सिंह का. उन्होंने कहा कि आज के दौर में सरकारें किसानों को यह कह रही हैं कि आप जानवर को पालें. हालांकि इससे इससे ज्यादा जरूरी है कि हम किसानों को एक अच्छा मार्केट दें.
उन्होंने कहा कि बकरी पालन के काम में में बुनियादी दिक्कतें क्या आ रही हैं उसे दूर किया जाना जरूरी है. जितने भी किसान आज की डेट में गोट फार्मिंग कर रहे है उन्हें बाजार देना भी है जरूरी है. तभी उन्हें उनकी माल का अच्छा दाम मिलेगा. सरकार आज की डेट में किसानों को गन्ना और मक्का उगाने के लिए सब्सिडी पर यूरिया दे रही है जबकि वही सरकार पशुपालकों को भी मिनरल मिक्चर सब्सिडी पर क्यों नहीं दे रही हैं. जबकि जानवरों के लिए ये बेहद जरूरी है. हर चीज पर सब्सिडी दी जा रही है. इसी तरीके से बकरियों के चारे पर भी एमएसपी दी जानी चाहिए.
सिर्फ बकरी पालने की बात कह रही है सरकार
अगर किसानों को बकरियों के पालने पर भी सरकार की ओर से मदद मिलेगी तो फिर बकरी पालन का काम भी अच्छा होगा और और इसमें ज्यादा लोग जुड़ेंगे. जिससे बकरी पालने वालों की संख्या में भी इजाफा होगा और बकरी का दूध उत्पादन भी बढ़ेगा. डीके सिंह ने बताया कि वो पिछले 5 साल से रिसर्च कर रहे हैं. जिससे ये नतीजा निकला है कि जितने लोग ग्राउंड लेवल पर काम कर रहे हैं उन्हें प्रमोट करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जितनी भी मशीनरी काम कर रही है वह सिर्फ जानवरों के पालने पर काम कर रही है. जबकि उनके पास किसानों के इस सवाल का जवाब नहीं है कि वो फार्मिंग में क्यों आएं.
तो मिल रहा है अच्छा दाम
डीके सिंह ने कहा कि जब उन्हें ज्यादा फायदा मिलेगा तभी वह आगे आएंगे. इसलिए उन्हें मार्केट देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मैं तमाम एनजीओ से अपील करता हूं कि कि वह सरकार से बात करें और उन्हें समझाएं कि जानवरों के लिए मार्केट तैयार करें. शहरों में स्लाटर हाउस बनाने की भी जरूरत है. उन्होंने तमिलनाडु के एक शहर की मिसाल दी कहा कि वहां पर एक स्लाउटर हाउस बना हुआ है, जहां से 1000 रुपए किलो बकरे का मीट बेचा जा रहा है उन्होंने कहा कि मैं खुद एक कंपनी चला रहा हूं आगे उसे इंडस्ट्री का रूप देना है.
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