नई दिल्ली. केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) स्कीम और नीली क्रांति से जुड़ी जानकारी देने के लिए असम का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने असम के मछली पालकों के हित में शुरू की गईं 16 योजनाओं के शुरू होने और इसके फायदे के बारे में जानकारी दी थी. इस दौरान उन्होंने उन्होंने मछली पालन क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं के विकास, मार्केटिंग और निर्यात बढ़ाने की बात भी कही. जबकि प्रमुख रूप से मछली उत्पादन और उत्पादकता (अंतरदेशीय, हिमालयी और शीत जल) बढ़ाने को लेकर अहम बातें कहीं और इसप जोर दिया.
मंत्री ने रूपाला ने एक बड़ी जानकारी देते हुए कहा कि किस प्रकार से असम में लाभार्थियों, मछली पालक किसानों और क्षेत्र से जुड़े दूसरे लोगों के लिए पीएमएमएसवाई और केसीसी जैसी योजनाओं को अमल में लाकर समूचे मछली पालन क्षेत्र की खामियों को दूर किया गया है. उन्होंने पीएमएमएसवाई और केसीसी योजना के लाभार्थियों से भी बात की. यहां उनहोंने कहा था कि असम मछली पालन क्षेत्र से जुड़ी तमाम गतिविधियों, उनके उत्पादन और खपत के मामले में तेजी से आत्मनिर्भरता कदम बढ़ा दिया है. तमाम योजनाओं से आमने-सामने हुई बातचीत से मछली पालक किसानों, मछुआरों और अन्य हितधारकों को उनकी समस्याओं के समाधान में मदद मिलेगी.
मंत्रालय ने प्रोजेक्ट संपूर्ण के तहत असम सरकार मिली तीन केन्द्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं को भी मत्स्यपालन विभाग ने ग्रीन सिग्नल दे दिया. प्रोजेक्ट संपूर्ण बोगंईगांव जिले के बच्चों में कुपोषण को कम करने के लिये शुरू की गई एक परियोजना है. वहीं जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालयों में एक्वारियम्स का निर्माण को मंजूरी मिली है. तथा 238.70 लाख रूपये की कुल लागत से असम फिशरीज रिसोर्स इन्फार्मेशन सिस्टम के विकास उसकी मैपिंग और पहचान के लिये असम फिसरीज रिसोर्सिज एप्लेकेशन आफ जियोस्पाटियल टैक्नालाजी का डिजिटलीकरण भी करने की योजना को शामिल किया गया है.
यहां पढ़ें मिली 16 योजनाओं के बारे में
1 गोलपारा जिले में चुनारी गांव में 19.91 करोड़ रूपये से और केन्द्र की 17.92 करोड़ रूपये की भागीदारी के साथ आधुनिक एकीकृत फिश लैंडिंग सेंटर की स्थापना.
2 सरकारी फार्म क्षेत्र में एक ब्रूड बैंक का निर्माण.
3 76 नई फ्रेशवाटर फिनफिश हैचरीज का निर्माण कार्य.
4 1140 हेक्टेयर क्षेत्र में तालाबों का निर्माण कर एक्वाकल्चर क्षेत्र का विस्तार किया जाएगा.
5 झीलों और नमभूमि के तहत 2410 हेक्टेयर क्षेत्र में फिंगर लिंग्स स्टाकिंग की सुविधा होगी.
6 625 हेक्टेयर क्षेत्र में एकीकृत मछली पालन हेतू सुविधा दी जाएगी.
7 वहीं सजावटी मछली पालन-पोषण और प्रजनन इकाइयों की 187 इकाइयों की स्थापना की जाएगी.
8 रि-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) के 52 यूनिट और बायोफ्लोक कल्चर सिस्टम (बीसीएस) की 183 यूनिट को मंजूरी मिली.
9 रिजर वायर्स में कटघरों के लिये 150 यूनिट की स्थापना की भी योजना है.
10 खुले जल संसाधनों में पेन-कल्चर के तहत 210 हेक्टेयर क्षेत्र का विस्तार किया जाएगा.
11 परंपरागत मछुआरों के लिये उनकी नौकाओं और जाल को बदलने वाली 111 इकाइयों की स्था पना की जाएगी.
12 नौ कोल्ड स्टोरेज और 92 फीड मिल्स की स्थापना होगी.
13 रेफ्रीजिरेटिड एण्ड इन्सुलेटिड ट्रकों, तिपहिया और दुपहिया वाहनों के 1381 पोस्ट- हारवेस्ट परिवहन वाहनों की उपलब्धता कराई गई है.
14 64 फिश किओस्क स्थापित किए जा रहे हैं.
15 एक रोग निदान और गुणवत्ता परीक्षण लैब का निर्माण.
16 21,000 मछली पालक परिवारों को जीविका और कुपोषसण रोकने में मदद दी गई.
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