नई दिल्ली. यदि आपने ये मन बनाया है कि अंडे के लिए पोल्ट्री फार्म शुरू करेंगे तो ऐसी कई बातें है जो आपको जान लेना चाहिए. ताकि आपको इससे जुड़ी जानकारी रहे है जिससे आपको मुनाफा कमाने में दिक्कत न आए और अगर कोई विपरीत परिस्थिति आए तो आप संभल जाएं. गौरतलब है कि देश में अंडे का प्रोडक्शन दिन ब दिन बढ़ रहा है और ये सालाना 130 बिलियन तक पहुंच गया है. जबकि वर्ष 2021-22 में अंडा उत्पादन में 750 करोड़ अंडों का इजाफा हुआ है. पोल्ट्री एक्सपर्ट मानते हैं कि हर वर्ष छह से सात फीसदी तक उत्पादन में इजाफा होता है. जबकि डेयरी-पशुपालन मंत्रालय की संयुक्त रिपोर्ट में एक व्यक्ति के हिस्से 95 अंडे आए थे. जबकि देश में अंडे खूब पसंद किए जा रहे हैं.
बता दें कि प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए अंडा अच्छा विकल्प है. डॉक्टरों का भी यही मानना है. जबकि इसको लेकर वेज और नॉनवेज का भी मसला है लेकिन इसे पंक्षी फल भी कहा जाता है. वहीं देश में करीब 130 बिलियन अंडो की पूर्ति देश में 26 करोड़ मुर्गियां से होती है. जबकि देशी मुर्गियों का अंडा ज्यादा महंगा होता है. वहीं कुछ मुर्गियां ज्यादा तो कुछ कम अंडा देती हैं. वहीं अंडे को लेकर लोग अवेयर रहें और इसे रोज खाएं ताकि इसकी खपत भी बढ़े. जिसके लिए टीवी पर विज्ञापन की मदद से ‘संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे’ का नारा गया है. शायद ही ऐसा कोई जिसने इस विज्ञापन को देखा और सुना न हो. नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) इसे चलवाती है.
कौन सही मुर्गी सबसे ज्यादा अंडा देती है
देखा जाए तो हर नस्ल की मुर्गियां अंडा देती हैं लेकिन लेअर बर्ड का जब नाम आता है तो इसे कृषि लेअर भी कहा जाता है. क्योंकि ये सबसे ज्यादा अंडा देने वाली मुर्गी है. एक वर्ष में यह मुर्गी 280 से लेकर 290 तक अंडे दे देती है. हर तरह के पोल्ट्री फार्म में भी इसी मुर्गी को अंडों के लिए लोग पालते हैं. रिटेल मार्केट में आज इसका एक अंडा छह रुपये से लेकर 6.5 रुपये तक बेचा जा रहा है. जबकि बड़ी-बड़ी कंपनियां इस मुर्गी का चूजा यानि चिक्स बेचती हैं और इसके चूजे के दाम 40 से 45 रुपये तक है. जबकि असील नस्लस की मुर्गी सबसे कम एक साल में महज 60 से 70 अंडे देती हैं.
नस्लीय एतबार से कम और ज्यादा अंडा देने वाली मुर्गियां
लेअर बर्ड के इतर जो मुर्गियां अंडा देती हैं उन्हें देशी मुर्गी की श्रेणी में रखा जाता है. देशी मुर्गियों की 8 ऐसी नस्ल हैं जो अंडे देती हैं. इसमें वनश्री एक साल में 180 से 190 तक अंडे दे देती है. जबकि ग्रामप्रिया से 160 से 180, निकोबरी 160 से 180, कड़कनाथ 150 से 170, सरहिंदी 140 से 150, घागुस 100 से 115, वनराजा 100 से 110 प्राप्त होता है.
सबसे महंगा बिकता है अंडा, 1 की कीमत 100 रुपये
देशी मुर्गे-मुर्गी में असील एक खास नस्ल मानी जाती है. वहीं इस श्रेणी में कड़कनाथ, वनश्री, निकोबरी, वनराजा, घागुस और श्रीहिंदी जैसी नस्ल शामिल है. जबकि असील की अपनी एक खास पहचान के लिए जानी जाती है. दरअसल, इसका मीट बहुत कम खाया जाता है लेकिन इसके अंडे की खूब मांग होती है. सर्दियों में इसका अंडा 100 रुपये तक बिकता है. बता दें कि इसका इस्तेमाल दवा बनाने के लिए किया जाता है. हैचरी के लिए सरकारी केन्द्रों से ही असील मुर्गी का अंडा 50 रुपये तक का मिल जाता है. इसका अंडा कीमती होता है और इसकी पहचान भी हो चुकी है शायद यही वजह है कि असील मुर्गी पूरे साल में सिर्फ 60 से 70 अंडे देती है.
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