नई दिल्ली. देशभर में रोजाना 25 करोड़ अंडों का कारोबार होता है. जबकि दूसरी ओर देश में एक्सपोर्ट भी तेजी से बढ़ रहा है. रूस—यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत के बाजारों में विदेशी ग्राहकों की संख्या में तेजी के साथ इजाफा हुआ है. हालांकि क्वालिटी की बात कहते हुए ज्यादातर ग्राहक नमक्कल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से ही अंडों को खरीद रहे हैं लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ इसका फायदा वही होगा. बल्कि अन्य राज्यों को भी इसका फायदा मिलना मुमकिन दिखाई दे रहा है. यदि दक्षिण भारत से एग एक्सपोर्ट हो रहे हैं तो इसका फायदा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, यूपी और मध्य प्रदेश के पोल्ट्री फार्मरों को भी मिलेगा. बता दें कि देश में करीब 32 करोड़ मुर्गियां हैं. इन्हीं मुर्गियों के सहारे देश में रोजाना करीब 25 करोड़ अंडों का कारोबार होता है. जबकि हर साल यहां 8वीं फीसदी तक अंडा उत्पादन बढ़ रहा है जो अच्छी बात है.
यूपी के पोल्ट्री फार्मर मनीष शर्मा का कहना है कि दक्षिण भारत के कई राज्य खासतौर से नमक्कल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में अंडा सप्लाई करते हैं. यदि वहां से अंडा एक्सपोर्ट हो रहा है तो कहीं ना कहीं नॉर्थ ईस्ट यानी असम, मेघालय, त्रिपुरा नगालैंड और मणिपुर आदि राज्यों की भी मांग पूरी हो जाएगी. जबकि यहां के लिए ऊपर जिक्र किए गए राज्यों से अंडा खरीदा जाएगा. जब अंडा खरीदा जाएगा तो जाहिर है कि उसका रेट भी बढ़ जाएगा. यही वजह है की सीजन के दौरान दिसंबर जनवरी में जब मलेशिया भारत से अंडे खरीद रहा था तो अंडे के दाम 6 रुपये तक पहुंच गए थे. वहीं बड़ी मंडियों में तो रेट 6 रुपये के भी पार कर गया था. अब श्रीलंका भी इसमें शामिल हो गया है और एंड खरीद रहा है.
पोल्ट्री फेडेरेशन आफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर का कहना है कि यह कोई पहला मौका नहीं है कि जब भारत से अंडा एक्सपोर्ट किया जा रहा है. अरब देश में भी अंडा एक्सपोर्ट किया जाता रहा है. मलेशिया भी अगर भारत से अंडा खरीदने आया है तो उसकी सबसे बड़ी वजह यहां अंडे का सस्ता होना है. क्योंकि भारत में दूसरे देशों के मुकाबले पोल्ट्री फीड सस्ती है. जिन सभी आइटम से फीड बनती है वह सभी हमारे अपने देश में ही उगते हैं. किसी चीज को इंपोर्ट नहीं किया जाता. जबकि यहां लेबर भी सस्ती है. जबकि दूसरे देश में दोनों ही चीज महंगी है.
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