हिसार. अभी तक सुनते थे कि भारत से चावल वो भी बासमती चावल का एक्सपोर्ट बड़ी मात्रा में होता है लेकिन अब ऐसा नहीं. चावल से ज्यादा एक्सपोर्ट तो भैंस के मांस का होने लगा है. अगर ये बात सच नहीं लग रही तो इस खबर को अंत तक पढ़ें. इतना ही नहीं भैंस के मांस की डिमांड सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि चीन और अरब देशों में भी खूब बढ़ी है. ये बात केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र (सीआइआरबी) के वैज्ञानिक डा. सज्जन सिंह भी मानते हैं. यही वजह है कि देश-विदेश में इस बढ़ती मांग के दृष्टिगत सीआइआरबी ने भैंसों की मांसपेशी बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया है. अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने मायोस्टेटिन अर्थात मसल रोकने वाली जीन को डबल मसल मांस प्रोडक्शन प्रोजेक्ट का
भ्रूण से मायोस्टेटिन जीन को भैंस में ट्रांसफर कर दिया
हिसार के केंद्रीय भैस अनुसंधान केंद्र भैंस में डबल मसल मांस प्रोडक्शन प्रोजेक्ट के अंतर्गत रिसर्च कर रहा है. डबल मसल मांस वाला बच्चा पैदा करने पर भी काम कर रहा है, जिससे विश्व बाजार में मांस का निर्यात और भी बढ़ेगा. संस्थान की ओर से अभी एक भैंस पर प्रयोग किया गया है. बाहर तैयार किए गए भ्रूण से मायोस्टेटिन जीन को भैंस में ट्रांसफर कर दिया है. इससे भैंस अब गर्भस्थ है.
रिसर्च काफी कारगर साबित होगी
सीआइआरबी में चल रही रिसर्च के तहत भैस में मांसपेशी बढ़े इसको लेकर बच्चा पैदा होने के समय ही इस जीन को डीएनए से बाहर निकालना होगा. बच्चे के पैदा होने के बाद उस जीन को नहीं निकाला जा सकता और वह सामान्य रूप से ही पलेगा. सीआइआरबी की ओर से इस जीन को डीएनए से काट कर अलग किया जाएगा. यह प्रोसेस जेनेटिक इंजीनियरिंग का हिस्सा है. भैंस की मांसपेशी में कितना ग्रोथ हुआ है. वैज्ञानिकों का दावा है कि डबल मसल मांस के लिए चल रही रिसर्च काफी कारगर साबित होगी. यह तीन साल तक चलेगी.
पशुपालकों की बढ़ जाएगी आय
भैंस के मांस खाने पर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है. भैंस का मांस बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है. अगर भैंस में मांस की ग्रोथ डबल हो जाती है तो इससे पशुपालकों को ज्यादा भाव देकर जाएगी. दूध लेने की गरज से पशुपालक भैंस को बेहतर तरीके से पालते हैं. कारण है उसका दूध बेचकर काफी घर का गुजारा भी चलता है. मगर, अब भैंस में मांस की ग्रोथ डबल हो जाती है तो पशुपालकों को भैंस के दाम भी पहले से ज्यादा मिलेंगे.
मांसपेशियां डबल होंगी और मांस की ग्रोथ भी डबल होगी
भैंस के डीएनए से मायोस्टेटिन जीन को काट कर अलग किया जा रहा है. बवच्चा आने के बाद उसे पालेंगे फिर रिकार्ड करेंगे कि मांसपेशी में कितना ग्रोथ हुआ. उम्मीद की जा रही है कि इससे मांसपेशियां डबल होंगी और मांस की ग्रोथ भी डबल होगी–डॉक्टर. सज्जन सिंह, विभागाध्यक्ष, पशु शरीर किया एवं प्रजनन विभाग, केंद्रीय भैंस अनुसंधान हिसार.
हरियाणा प्रदेश में ही इस समय करीब 44 लाख भैंसें
भैंस का मांस खाने वाले आठ करोड़ लोगों को फायदा होगा. साथ ही विश्व बाजार में भैंस के मांस के निर्यात को और बल मिलेगा. बता दें कि हरियाणा प्रदेश में ही इस समय करीब 44 लाख भैंसें हैं.
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