नई दिल्ली. कभी-कभी बकरियों में ऐसी बीमारी हो जाती है, जिससे बकरी कभी पनप नहीं पाती. इस कारण किसान अपने जानवर से भी हाथ धो बैठता है.इस बीमारी को हीमोकस कहते हैं, जो एक परजीवी है. बकरी पालकों की मानें तो ये खासतौर पर भेड़-बकरी में ही पाया जाता है. अगर ये एक बार बकरी भेड़-बकरी के पेट में आ गया तो फिर जानवर का पनप पाना बेहद मुश्किल होता है. ये इतना खतरनाक हो जाता है फिर चाहे किसान उन्हें कितना ही हरा और सूखा चारा, दाना और मिनरल खिला लें. हालांकि ऐसा नहीं है कि इसका इलाज संभव नहीं. इस परजीवी की पहचान और इलाज हो सकता है वो भी आसान तरीके से. पशुपालक भी बिना डॉक्टर की मदद से इसकी पहचान कर सकता है.
ऐसे कर सकते हैं इस परजीवी की पहचान
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के गोट एक्सपर्ट की मानें तो पशु की आंखों को देखकर इस परजीवी की पहचान की जा सकती है. कभी-कभी ये बीमारी इतना खतरनाक रूप धारण कर लेती है कि इस रोग के कारण भेड़-बकरी मर तक जाते हैं. एक्सपर्ट बताते हैं कि इस बीमारी का पता बकरी के यूरिन और उसकी मेंगनी में होने वाले बदलाव से पता लगाया जा सकता है.
बकरी की मौत से होता है सबसे ज्यादा नुकसान
गोट एक्सपर्ट मोहम्मद राशिद का कहना है कि गोट फार्मिंग करते वक्त सबसे ज्यादा पशुपालक को नुकसान बकरियों की मौत से होता है. अगर पशु पालक छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर बकरियों की देखभाल करेंगे तो बीमारी का वक्त रहते पता लगाया जा सकता है.
आंखों बदलाव हो तो समझ लो जानवर हो रहा बीमार
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. आरएस पवैया ने बताया कि बकरी में होने वाले बदलावों को देखकर पशुपालक भी उसके बीमार होने का पला लगा सकते हैं. जैसे भेड़-बकरी के अंदर जब हिमोकस नाम का पैरासाइड पलने लगता है तो भेड़-बकरी की आंखों में बदलाव होने लगता है.
हिमोकस चूसता है भेड़-बकरी का खून
हिमोकस भेड़-बकरी का खून चूसता है और जब यह खून चूसने लगता है तो इसकी संख्या भी बढ़ने लगती है. इसलिए अगर आपने गौर किया हो तो स्वस्थ भेड़-बकरी की आंखें एकदम से चमकीली लाल-गुलाबी होती हैं. लेकिन अगर उसके पेट में हिमोकस है तो आंख हल्की गुलाबी हो जाती है. जैसे-जैसे हिमोकस की संख्या बढ़ती जाती है और वो खून चूसते हैं तो भेड़-बकरी की आंख सफेद पड़ने लगती है. जिसका मतलब यह है कि भेड़ या बकरी में खून की कमी हो रही है. जब ऐसे लक्षण बकरी में दिखने लगें तो बिना किसी देरी के डॉक्टर को दिखाकर भेड़-बकरी का परीक्षण कराया जाए.
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