नई दिल्ली. भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान आईसीएआर आईआईएसडब्ल्यूसी देहरादून में 8 अक्टूबर 2023 से 7 फरवरी 2024 तक चल चलेगा. मृदा एवं जन संरक्षण और वाटरशेड प्रबंधन पर 4 महीने के रेगुलर ट्रेनिंग के ट्रेनी अफसरों का खुलासा हुआ. 12 जनवरी 2024 को संसाधन संरक्षण और आजीविका सुरक्षा के साधन के तौर पर नदी में प्रबंधन और मत्स्य पालन विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रीय स्थितियां और संरक्षण रणनीतियों पर चर्चा की गई. ट्रेनी अफसरों को नदी प्रबंध और मछली पालन की जानकारी दी गई.
इन मसलों पर हुई चर्चा
आईआईएसडब्ल्यूसी प्रिंसिपल साइंटिस्ट व प्रमुख पीएमआई केएनयूनिट डॉ. मुरूगानंदम ने फील्ड एक्सपोजर विजिट का आयोजन किया और फील्ड स्थितियों में इंडोर क्लासेज के दौरान हासिल की गई तमाम जानकारी को शेयर किया. ट्रेनियों को क्षेत्र में व्यावहारिक समझ और संसाधन प्रबंधन और संरक्षण की जरूरत व संसाधनों को समझने के लिए डोईवाला में सफल मछली पालन इकाई सोंग नदी के विस्तार से अवगत कराया गया. अधिकारी प्रशिक्षुओं ने संसाधन व्यक्तियों के साथ बातचीत की और क्षेत्र में तमाम विभिन्न समस्याओं को सामने रखा. एक्सपोज़र विजिट के दौरान, मछली पालन, पानी की गुणवत्ता, जैव विविधता मूल्यांकन और माप और क्षेत्र-आधारित संरक्षण मॉडल और प्रणालियों के अलावा मिट्टी और पानी के नमूने और विश्लेषण में अपनाई जाने वाली क्षेत्र उपकरणों, तकनीकों और प्रक्रियाओं, नदी स्वास्थ्य मूल्यांकन और प्रबंधन के लिए लागू एसडब्ल्यूसी माप चर्चा हुई.
एक्सपीरियंस को किया शेयर
बता दें कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल विभिन्न सामाजिक रुचियां की स्पष्ट समझ के लिए आयोजित किया गया था. इंडोर कक्षाओं के अलावा ऐसी क्षेत्रीय और व्यावहारिक यात्राओं में से एक है. चालू पाठ्यक्रम संस्थान में आयोजित प्रशिक्षण का 126वां बैच है. जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से 23 अधिकारी प्रशिक्षु हिस्सा ले रहे हैं. सफल मछली किसानों में से एक ललित सिंह बिष्ट ने प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की और उनके साथ अपने एक्सपीरियंस को शेयर किया. मुख्य तकनीकी अधिकारी आईआईएसडब्ल्यूसी राकेश कुमार ने क्षेत्र प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की.
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