नई दिल्ली. तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले से एक गंभीर खबर सामने आ रही है. यहां पशुओं को खिलाने वाले चारे की किल्लत हो गई है. इसके चलते पशुपालक अपनी गाय व भैंस को चारा खिलाने के लिए परेशानी के दौर गुजर रहे हैं. वहीं जिले के डेयरी किसानों ने राज्य सरकार से रियायती दरों पर चारा उपलब्ध कराने की अपील की है. किसानों का कहना है की मार्केट में उन्हें महंगे दामों पर चारा मिल रहा है. जिसके चलते उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. पशुपालन विभाग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक धर्मपुरी जिले में 3.75 लाख अधिक दुधारू मवेशी हैं. जिनका औसत दैनिक दूध उत्पादन 1.5 लाख लीटर है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गर्मी की शुरुआत होते ही जिले में चारे की कमी हो गई है. किसानों को बहुत ही मुश्किल से पशुओं के लिए चारा मिल पा रहा है. तमिलनाडु विवाह विवासयिगल संगम के अध्यक्ष एसए चिन्नासामी का कहना है कि पिछले साल जिले में ज्यादा बारिश नहीं हुई थी. जिसके चलते कई किसानों को मक्का और धान की खेती छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इस वजह से जिले में सूखे चारे की किल्लत हो गई है. उन्होंने बताया कि हमें चेंगल, कल्लकुरिची, तिरुवन्नमलाई और अन्य क्षेत्रों से चारा मिल रहा है. इसलिए कीमतें बढ़कर 220 प्रति 30 किलो रोल हो गई है.
महंगा मिल रहा है चारा
ऐसे चिन्नास्वामी का कहना है कि जैसे-जैसे दिन बढ़ेंगे वैसे-वैसे दाम दोगुने हो और उससे ज्यादा हो जाएंगे. सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत है और रियायती मूल्य पर घास वितरित करना चाहिए. धर्मापुरी के किसानों का कहना है कि पिछले वर्षों में चारे की कीमत में इजाफा हुआ था और अगर इस बार भी घास की कीमत बढ़ती हैं तो किसान गंभीर रूप से प्रभावित होंगे. खास बात यह है एक माह पहले घास की कीमत 150 और प्रति 30 किलो रोल थी, अब यह 220 रुपये तक पहुंच गई है. ऐसे में पशुपालकों के सामने संकट खड़ा हो गया कि वह पशुओं को क्या खिलाएं.
दूध की कीमतें होंगी प्रभावित
पेरूमल ने बताया कि कीमत ज्यादा होने के चलते मनुष्यों का आवश्यक पोषक तत्व नहीं दिया जा रहा है. इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर ही पड़ेगा. वहीं जिले के पशुपालन अधिकारी का कहना है कि किसानों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे. पहले जब घास की कीमत कम होती थी तो दूसरे जिलों से लाते थे. अगर जरूरत पड़ी तो हम इसे दोबारा करेंगे. आम लोगों का कहना है की चार महंगा होने से दूध की कीमतों पर भी असर पड़ेगा. अगर सरकार उचित मूल्य पर चारा की व्यवस्था नहीं करती तो लागत बढ़ने से दूध की कीमत प्रभावित होगी.
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