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Sheep Farming: सालभर भेड़ का कैसे रखें ख्याल, खानपान से लेकर रखरखाव की पूरी जानकारी पढ़ें यहां

गोट एक्सपर्ट का कहना है कि एक से तीन महीने के बीच मेमना पालन की बात की जाए तो पहले महीने में शरीर का वजन सात किलोग्राम होता है.
मुजफ्फरनगरी भेड़ की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भेड़ पालन का चलन जहां हिमाचल और नेपाली इलाकों में ज्यादा है तो वहीं बकरी पालन का रोजगार मैदानी इलाकों में हो किया जाता है. प्राचीन काल से ही किन्नौर, लाहौल, स्पीति, भरमौर, पांगी, कांगड़ा और मंडी के जनजाति क्षेत्र के लोग मुख्य रूप से भेड़ पालन पर निर्भर हैं. भेड़ से ऊन और मांस दोनों ही मिलता है. भेड़ की खाद पूरी भूमि को अधिक उपजाऊ भी बना देती है. जबकि भेड़ कृषि के लिए अनुपयुक्त भूमि पर भी चरती है. कई खरपतवार अनावश्यक घास का उपयोग भी करती है. इसलिए भेड़ को बहुत ही उपयुक्त जानवर माना जाता है.

भेड़ कहीं ऐसी ऊंचाई वाली चारागाहों का प्रयोग करती है, जहां पर दूसरे जानवर नहीं जा पाते हैं. भेड़ पलकों को हर साल भेड़ से मांस और ऊन मिलता है. व्यावसायिक रूप से किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं. ऐसे में जरूरी है कि किस भेड़ के खान-पान का उचित ख्याल रखें. ताकि भेड़ का स्वस्थ रहे. ऐसे में यह जानते हैं कि सालभर भेड़ का कैसे कैसे रखें, क्या खानापान दें और रखरखाव की पूरी जानकारी यहां पढ़ें.

फरवरी से मार्च के महीने में: एक्सपर्ट कहते हैं कि इस ऋतु में ना तो ज्यादा गर्मी होती है ना ही अधिक सर्दी होती है. सरसों और चने के खेत खाली हो जाते हैं. जिसका उपयोग भेड़ और बकरियों को चराने के लिए किया जा सकता है. भेड़ गर्मी में आने लगती है. इस मौसम में पड़किया रोग का प्राकृतिक शुरू हो जाता है. इसलिए सभी पशुओं को टीका लगाना चाहिए. बेहतर होगा कि ऊन काटने के बाद वाड सीथियन 0.05% के घोल से नहलाया जाए. ताकि जूं और किलनियां और अन्य भारी परजीवी मर जाएं.

अप्रैल से जून में कैसे रखें ख्याल: गर्मी के कारण चारा सूख जाता है लेकिन गेहूं और जौ की फसल काटने का भेड़ बकरियों को खाली खेत में आसानी से चरने का मौका मिलता है. कुछ स्थानों पर खेजड़ी और बावुल की पत्तियां इन जानवरों के लिए भोजन के रूप में काम करती हैं और गर्मियों में उन्हें लाने में मदद करती हैं. इस मौसम में चराने के साथ-साथ पूरा विटामिन भी देना चाहिए. अन्यथा भेड़ बकरियों के शरीर का वजन भी कम होने लगता है.

जुलाई से अगस्त महीने में ये करें: इस दौरान बारिश का मौसम होता है. इस वजह से घास हरे चारे की उपलब्धता भी ज्यादा होती है. गर्भवती भेड़ों को अच्छा भोजन मिलता है और बारिश के अंत तक मेमनों का जन्म होने लगता है. इस मौसम में भेड़ को आंतरिक परजीवियों से बचने और खुर की सड़न से बचने के लिए दवा देनी चाहिए.

सितंबर से अक्टूबर तक क्या करें: इस मौसम में बिगड़े का ऊन को कतरना चाहिए. खराब भेड़ को छोड़कर झुंड से अलग कर देना चाहिए. शरद ऋतु में मेमने भी पैदा होते हैं और दूध छुड़ाई भेड़ भी गर्भवती हो जाती है. खरीफ फसलों की कटाई के बाद खाली पड़े में खेत चराई के लिए उपयुक्त होते हैं.

नवंबर से जनवरी नवंबर ठंड से बचाएं: मिट्टी में नमी के कारण घास सूखने लगती है और चारे की कमी हो जाती है. भेड़ बकरियों को सूखी घास करेला तथा पाला आदि खिलाना चाहिए. छोटे मेमने को सर्दी के प्रकोप से बचाएं.

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