नई दिल्ली. ग्रामीण इलाकों में खेती किसानी के अलावा किसानों का पशुपालन आय एक दूसरा जरिया है. अभी भी बहुत से किसान गाय या भैंस के दूध के जरिए अपनी आजीविका चलाते हैं. जिसकी वजह से पशुपालक अक्सर दुधारू भैंस की नस्ल तलाशते रहते हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि अगर पशु की दूध देने की क्षमता अच्छी नहीं हुई तो पशुपालक अपने परिवार को ठीक से नहीं पाल पाएंगे. क्योंकि उनका परिवार इसी पशुपालन पर टिका होता है. यदि पशुपालक को सही जानकारी न हो तो वह गलत पशु खरीद कर अपना नुकसान कर सकता है.
गलत पशु का चयन करने से पशु पर इन्वेस्ट किए गए रुपये भी खराब हो सकते हैं. यदि आप भी दुधारू भैंस खरीदना चाहते हैं और दुधारू भैंस की पहचान का सही तरीका आपको नहीं मालूम है तो आपको इसकी पहचान का सही तरीका मालूम करना चाहिए. इस आर्टिकल में दुधारू भैंस की इन्हीं पहचान करने को लेकर अहम जानकारी दी जा रही है. उसके बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा और गौर से पढ़ें.
-दुधारू पशु के शरीर की बनावट पीछे की तरफ से चौड़ी और आगे की तरफ से पतली होगी. इस पशु को सामने से देखने पर आपको तिकोनी दिखाई देगी.
-दुधारू पशु की चमड़ी चिकनी और अधिक चमकदार होती है. इनकी आंखें चमकीली होती हैं और उनकी आंखों पर बेहद कम ही बाल देखने को मिलते हैं.
-दुधारू भैंस की नस्ल में मुर्रा को सबसे ज्यादा बेहतर माना जाता है. इस भैंस की नस्ल न केवल अधिक दूध देती है. बल्कि इसके दूध में फैट और प्रोटीन भी अधिक पाया जाता है.
-अधिक दूध देने वाली भैंस के थन थोड़े टेढ़े हो सकते हैं और उनके थनों पर सफेद रंग की झलक भी दिखाई देती है.
-अगर आप एक अधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ल खरीद रहे हैं तो ध्यान रहे कि उसकी दूसरी या तीसरी ब्यात हो. इसलिए क्योंकि अच्छी नस्ल की भैंस अपने दूसरे ब्यात पर सबसे ज्यादा दूध देती है.
-ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्ल के सभी थन एक सामान्य होंगे और एक दूसरे पर होंगे.
-एक अच्छी नस्ल का पशु लगभग दूसरी ब्यात से लेकर सातवीं ब्यात तक सबसे अधिक दूध देता है.
-दुधारू भैंस खरीदते समय अगर आपको ऐसी भैंस मिल रही हो जिसे मादा बच्चों को जन्म दिया है तो यह आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. दरअसल, ऐसा होने पर आपको भविष्य के लिए दूसरा दुधारू पशु मिल जाता है.
-किसी भी पशु को खरीदते समय कम से कम तीन बार उसका दूध दुहते हुए जरूर देखें. ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार पशु बेचने वाले व्यक्ति दूध की क्षमता अधिक बताकर पशु बेचता है.
-अगर भैंस या गाय खरीद रहें तो उनकी उम्र का कभी पता लगाएं. क्योंकि अगर पशु की उम्र पूरी होने वाली है तो दुधारू पशु खरीदने के बाद आपको नुकसान ही होगा. बता दें कि एक भैंस का जीवनकाल 20 से 22 साल तक होता है.
-भैंस की उम्र का अंदाजा आप उसके दांतों और सींग के जरिए लगा सकते हैं. अगर भैंस के आगे के सभी दांत सीधे हों और घिस चुके हों तो यानी उनकी आयु अधिक है. वहीं भैंस की सींग उम्र के साथ अधिक गोल हो जाती है. आप इन चीजों को देखभाल कर भैंस की नस्ल की पहचान कर सकते हैं.
-भैंस की सेहत देखकर भी उनकी उम्र का अंदाजा लगाया जा सकता है. अगर वह शारीरिक रूप से कमजोर दिखाई देती है तो उसकी उम्र ज्यादा है. इसके अलावा भैंस बेचने वाले से आप उसका पशु कार्ड भी मांग सकते हैं.
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