नई दिल्ली. तापमान सारे रिकॉर्ड तोड़ना चाह रहा है. पारा 45 के पार पहुंच गया. राजस्थान के एक शहर में तो ये 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है. इसके चलते सूरज से आग निकल रही है और हवाएं गर्म चल रही हैं. गर्मियों जब गर्म हवाएं यानि लू चलने लग जाती है तो पशुओं के लिए कई तरह की परेशानी खड़ी हो जाती है. दरअसल, हीट वेव वायुमंडलीय तापमान की एक स्थिति है जो शारीरिक तनाव का कारण बनती है, जो कभी-कभी होता है. वहीं ग्रिड बिंदु पर तापमान सामान्य तापमान से 30 डिग्री सेल्सियस या अधिक हो सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि लगातार 3 दिन या उससे अधिक समय तक किसी भी स्थान का तापमान यदि 45 डिग्री सेल्यिस तक पहुंच जाता है तो इसे हीट वेव की स्थिति कहा जाता है.
गौरतलब है कि इस आईएमडी के पूर्वानुमान के मुताबिक ही पंजाब, हरियाणा-चंडीगढ़-दिल्ली के कई हिस्सों और राजस्थान के कुछ इलाकों में लू से लेकर गंभीर लू तक चल रही है. जबकि 20 मई से ही यूपी, एमपी, गांगेय पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड, गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ के अलग-अलग/कुछ इलाकों में लू चल रही है. एक्सपर्ट के मुताबिक लू चलने पर खासतौर पर छोटे बड़े पशुओं की ज्यादा देखभाल करनी चाहिए. उन्हें ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडा मौसम दोनों ही नुकसान पहुंचाता है.
गर्मी में क्या करें पशुपालक
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि जब लू चलने लगे तो पशु आवास में साफ हवा जाने और दूषित हवा बाहर निकलने के लिए रौशनदान होना चाहिए.
अगर पशुशाला में रौशनदान न हो तो तुरंत इसे बनवा लें. गर्म दिनों में पशु को 24 घंटे के अंदर कम से कम दो बाहर जरूर नहलाना चाहिए.
दिन में नहलाएं और शाम को भी नहलाएं. जबकि ब्लैक स्किन होने के नाते भैंसों को ठंडे पानी से नहलाना बेहद ही जरूरी है.
वहीं पशु को ठंडा पानी पर्याप्त मात्रा में पिलाना भी बेहद जरूरी होता है.
अगर पशु 10 लीटर दूध दे रहा है तो कम से कम 30 लीटर पानी की आवश्यकता उसे होती है. जबकि गर्मी में और ज्यादा पानी देना चाहिए.
संकर नस्ल के पशु जिनको अधिक गर्मी सहन नहीं होती है उनके आवास में पंखे या कूलर लगाना चाहिए. ताकि उन्हें गर्मी से बचाया जा सके.
लू लगने पर ये काम करें
एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं को अगर लू लग जाए तो उनके शरीर का तापमान अत्यधिक बढऩे पर वे बेहोश हो जाते हैं कई बार तो उनकी मौत हो जाती है. एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक पशु को लू लगती है तो उसे तुरन्त हवादार ठंडी छायादार जगह पर ले जाना सबसे बेहतर काम है. इससे उन्हें काफी आराम मिलता है. वहीं अगर पशु का शरीर भार ज्यादा होने की वजह से उसे उठाने में कठिनाई महसूस हों तो वही पाल लगाकर उस पर छाया की व्यवस्था करें. ताकि धूप से उन्हें बचाया जा सके. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो स्थिति गंभीर हो सकती है.
दूध उत्पादन कम कर देती है भैंस
डेयरी पशुओं की बात की जाए तो भैंस की चमड़ी काली होती है और इस वजह से उसे गर्मी का अहसास ज्यादा होता है. गर्मी में भैंस दूध उत्पादन कम कर देती है. इसके चलते पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि भैंस की केयर की जाए. भैंस को अच्छे आहार दिए जाएं. भैंस के बाड़े में हो सके तो कूलर आदि की भी व्यवस्था की जाए. दिन में दो बार नहलाना भी चाहिए. इससे गर्मी का असर कम होता है.
इन जानवरों को ज्यादा लगती है गर्मी
गर्मी के दिनों में तो वैसे हर तरह के पशुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है. हालांकि उच्च चयापचय दर वाले पशु (उदाहरण के लिए, अधिक दूध देने वाले) और कम स्वेटर वाले (सुअर, कुत्ते) अधिक संवेदनशील हैं. इसके अलावा युवा जानवर, गहरे रंग के जानवर श्वसन, गुर्दे और यकृत रोगों के इतिहास वाले बीमार जानवर, नई कटी हुई भेड़, गर्भवती एवं दूध पिलाने वाले पशु और भारी जानवर. एक्सपर्ट कहते हैं कि इन जानवरों को गर्मियों से ज्यादा बचाना चाहिए.
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