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Poultry: ज्यादा ग्रोथ और अंडों का उत्पादन चाहते हैं तो इस तरह खिलाएं मुर्गियों को खाना-दाना

पोल्ट्री के बिजनेस में बीमारियां रोक लीं तो ये मुनाफे का सौदा होता है.
चूजों का प्रतीकात्मक फोटो: Livestockanimalnews

नई दिल्ली. पोल्ट्री में मुर्गी पालन एक बेहतरीन व्यवसाय है. इस व्यवासय को ग्रामीण इलाकों में घरों के पीछे कई दशकों से किया जा रहा है. वहीं अब इस व्यवसाय को लोग अपनी कमाई के लिए भी करते हैं और लाखों रुपये कमाते हैं. हालांकि इसके लिए उत्तम किस्म की नस्लों को पाला जाता है. ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रोथ और प्रोडक्शन मिल सके. पोल्ट्री एक्सपर्ट का मनाना है कि ज्यादा फायद हासिल करने के लिए उत्तम कुक्कुट नस्लों में इजाफा करना जरूरी है. ये देशी कुक्कुट की तुलना में अधिक अंडे भी देती हैं.

इसलिए, इन पक्षियों की आनुवांशिक क्षमता से भी ज्यादा फायदा हासिल करने के लिए हाई लेवल के पोषण की आवश्यकता होती है. विशेष रूप से, नर्सरी में पालन करने वाले कुक्कुट को मुक्त क्षेत्र में क्लैनसर का अवसर नहीं मिलता है. इसलिए इन्हें संतुलित खाना प्रदान करने की आवश्यकता होती है. जिसमें चयापचय ऊर्जा, प्रोटीन, महत्वपूर्ण अमीनो एसिड, सूक्ष्म और दीर्घ खनिज और सभी विटामिन की आवश्यक मात्रा हो. ताकि ये नस्ल की मुर्गियों के शरीर भार ज्यादा हो सके.

ताकि हर चूजे तक खाना पहुंच सके
इन पोषक तत्वों की आवश्यकता काफी हद तक मुर्गियां नस्ल पर निर्भर करती है. इस परिसीमित पालन की अवधि के दौरान कुक्कुट को केवल अनाज देना पर्याप्त नहीं होगा. इसके चलते पूरी तरह से विकास नहीं हो पाता है. शरीर, लंगड़ापन समेत कई तरही बीमारियों का खतरा हो जाता है. इसलिए शुरुआती 6 सप्ताह के दौरान चूजों को संतुलित / संयोजित खाद्य खिलाया जाना चाहिए और ब्रूडर गृह में समान्य रूप से चूजों के खाने के बर्तन में खाना प्रदान किया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है कि झुंड में छोटे से छोटे चूजे तक भी खाना की सरलता से पहुंच सके.

इस तरह का होना चाहिए बर्तन
खाना दिन में कम से कम 2 बार दिया जाना चाहिए और प्रत्येक समय केवल खाने का बर्तन 75 फीसदी तक ही भरना चाहिए. क्योंकि फूड इंग्रीडिएंड बहुत महंगा होता है. इसलिए इसे खराब या बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए. बोरियों को शुष्क, हवादार और रोडेंट्स फ्री कमरे में उचित प्रकार से रखा जाना चाहिए. खाद्य पात्र में खाद्य देते समय कोई कूड़ा-करकट / स्ट्रा सामग्री न हो. जैसे-जैसे पक्षी बड़े होते हैं, खाने की ऊंचाई भी बढ़ाई जाती है. खाने के बर्त का ऊपरी हिस्सा पक्षी की औसत पीठ के स्तर पर स्थित होना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पक्षियों को खाद्य ग्रहण करने में कठिनाई तो नहीं आ रही है.

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