Home डेयरी Buffalo Milk: इस नस्ल की भैंस को पालें हो जाएंगे मालामाल, बाल्टी भरकर मिलेगा दूध, पढ़ें डिटेल
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Buffalo Milk: इस नस्ल की भैंस को पालें हो जाएंगे मालामाल, बाल्टी भरकर मिलेगा दूध, पढ़ें डिटेल

murrah buffalo
मुर्रा भैंस की प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. पशुपालन करके किसान अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं. पशुपालन के जरिए पशुओं से हासिल दूध से अच्छी कमाई होती है. हालांकि यहां किसी भी पशुपालक को ये डिसाइड करना पड़ेगा कि आखिरी किस नस्ल का पशु पालें. बात की जाए अगर भैंस तो यहां आपको एक नस्ल के बारे में जानकारी दी जा रही है. इस आर्टिकल को पढ़कर आप खुद डिसाइड कर लेंगे कि आपके लिए बेहतर नस्ल कौन सी है. जो बेहतर उत्पादन करती हो और इससे ज्यादा कमाई की जा सकती है.

मुर्राह भैंस की नस्ल दूध उत्पादन के लिए विश्व में सबसे अच्छी मानी जाती है. यह नस्ल मुख्यतयः दूध व मांस के लिए पाली जाती है, ये तटीय व कम तापमान वाले क्षेत्रों में भी आसानी से रह लेती है. मुर्रा हरियाणा, दिल्ली व पंजाब में ज्यादा तादाद में पाई जाती है. इसे हरियाणा के रोहतक, भिवानी, झज्जर, हिसार एवं जींद जिलों से खरीदा जा सकता है. पशु काले, बड़े डील- डोल शरीर वाले होते हैं. मादा का सिर छोटा, अच्छे नयन नक्स लिए होती है, सांड चौडे व बड़े वजनी होते हैं.

पूंछ लंबी और सिरे पर होती है सफेद
अगर इसके बाल की बात की जाए तो घने व छोटे होते है, सींग छोटे कसे हुए मुड़े छल्ले के समान होते है, मादा की आंखे चमकीली सतर्क होती है, मादा की गर्दन लम्बी, पतली होती है व नर में मजबूत तथा मांसल होती है. कमर चौड़ी होती है. पूंछ लम्बी व निचले सिरे पर सफ़ेद काले बालों का गुच्छा होता है. अयन का जुडाव मजबूत नसे उभरी हुयी होती हैं. थन आपस में समान दूरी पर जुड़े होते हैं. पिछला अयन प्रदेश अधिक बड़ा होता है नर का वजन लगभग 450-800 किग्रा, मादा का लगभग 350-700 किग्रा होता है.

हर दिन 10 लीटर मिलता है दूध
पहले गर्भधारण की उम्र 920-1,355 दिन होती है. पहले ब्यात उम्र की बात की जाए तो 1,214-1647 दिन, दूध उत्पादन 904-2041 किग्रा करती है. दुग्ध स्रवण काल 254-373 दिन होता है. शुष्क काल 145-274 दिन का होता है. इसके दूध में वसा 7.3 प्रतिशत होती है. इसका दूध उत्पादन 8 से 10 लीटर प्रतिदिन होता है. जबकि संकर मुर्राह एक दिन में 6 से 8 लीटर दूध देती है. भैंसें जिनकी नस्ल के गुण अभी निर्धारण नहीं हुए है, उनका सुधार भी मुर्राह नस्ल से ही किया जा रहा है. हमारे देश में सभी जगह मुर्राह ग्रेडेड भैंसे हैं, जो की वहां के वातावरण में आसानी से रहकर दूध उत्पादित कर रही हैं.

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