नई दिल्ली. पशुपालकों को वैसे तो पशुओं से किस तरह दूध निकालना है इसकी जानकारी तो होती ही है लेकिन कुछ को इसके सही तरीके के बारे में जानकारी नहीं होती है. जिसका असर पशुओं की सेहत से लेकर दूध उत्पादन तक पर पड़ सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं के दूध निकालने के तरीकों की सही जानकारी होना बेहद अहम है. पशुपालकों को पता होना चाहिए कि कि किस तरह से स्वच्छ दूध का उत्पादन किया जा सकता है. बताते चलें कि गुर, पशु विज्ञान केंद्र, महेंद्रगढ़ द्वारा सतनाली में स्वच्छ एवं स्वस्थ दुग्ध उत्पादन कार्यशाला का आयोजन लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार में किया गया.
यहां कुलपति महोदय प्रो० (डॉ) विनोद वर्मा के निर्देशानुसार पशु विज्ञान केंद्र, महेंद्रगढ़ द्वारा गाव सतनाली में विश्व दुग्ध दिवस पर स्वच्छ एवं स्वस्थ दुग्ध उत्पादन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था. यह कार्यक्रम क्षेत्रीय निदेशक डॉ संदीप गुप्ता, हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र, महेंद्रगढ़ की अध्यक्षता में वैज्ञानिक डॉ ज्योति शुन्थवाल व डॉ. देवेन्द्र सिंह द्वारा किया गया था. इन एक्सपर्ट ने पशुपालकों को दूध उत्पादन की तमाम बीरीकियों से रूबरू कराया.
इस वजह से दूध हो जाता है दूषित
इस कार्यशाला में डॉ अमित सांगवान, डॉ मधुसुधन, डॉ भारतेंदु ने अपने विचार साझा किए. आयोजन पशु चिकित्सालय, सतनाली के कुलदीप, नवीन आदि के सहयोग से किया गया था. इस कार्यक्रम में पशुपालकों को स्वस्छ एवं स्वस्थ दूध उत्पादन की बारीकियों के बारे में अवगत कराया गया तो पशुपालकों ने बताया कि उनके लिए ये जानकारियां बेहद जरूरी थीं. इससे उन्हें आगे फायदा होगा. वहीं एक्सपर्ट बोले कि आज के दौर में जहां हर घर के रसोई का मुख्य खर्चा दूध एवं दूध से बने पदार्थ पर निर्भर करता हैं, वहीँ दूध एवं दूध पदार्थ में मिलावट एक चुनौती के रूप में उभर रहा हैं. वैज्ञानिक डॉ. ज्योती ने बताया कि पशु से दूध आमतौर पर स्वच्छ एवं स्वस्थ निकलता है, लेकिन दूध निकालने वाले की अज्ञानता के कारण दूध संक्रमित हो जाता है. संक्रमित दूध जल्दी खराब हो जाता है तथा यह दूध दूरस्थ शहरों के उपभोक्ताओं तक ठीक से नहीं पहुंच पाता और उत्पादक तथा राष्ट्र को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. दूषित दूध से उपभोक्ता कई बार भयंकर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.
इस वजह से भी दूध हो जाता है खराब
वैज्ञानिक डॉ. देवेन्द्र यादव ने बताया की स्वच्छ दूध ही स्वस्थ दूध हैं, जिसमे पशुपालकों की महत्वपूर्ण भूमिका है. इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले पशु स्वस्थ होना चाहिए. पशुपालक ध्यान दें कि उसका पशु संक्रामक रोगों से ग्रषित न हो, विशेष रूप से नए पशु खरीदे तब पशु का टीबी, ब्रुसेला एवं जेडी रोग का टेस्ट जरुर करवाएं. इन टेस्ट के लिए पशुपालक लुवास यूनिवर्सिटी के पशु जनस्वास्थ्य एवं महामारी विज्ञान विभाग की विभिन्न जिलों स्थापित पशु रोग जाँच प्रोयोगशाला में संपर्क कर सकतें हैं. रोगग्रस्त पशु का दूध सबसे बाद में व अलग निकालें, पहले स्वस्थ पशु का दूध निकालें. प्रतिदिन खुर्रे के साथ पशु की सफाई रखें. स्वस्थ पशु के बाद भूमिका आती हैं स्वस्थ दुधारे की जो दूध निकालने का काम करता है.
मुट्ठी बंदकर दूध निकालें
दूध निकालने वाले के हाथो से जहाँ पशुओ में थनैला रोग जैसे संक्रमण हो सकते हैं वहीँ अगर हाथ साफ़ न होने से, नाख़ून बड़े होने से दूध भी खराब रहता हैं वहीँ पशु भी बीमार हो जाता हैं. दूध निकालते समय दूध में संक्रमण खासतौर पर पशु के शरीर से होता है. इसलिए पशु की प्रतिदिन खुरे से सफाई करनी चाहिए ताकि धूल, मिट्टी, टूटे हुए बाल व गोबर इत्यादि दूध में गिरकर दूध को खराब न करें. दूध निकालने से पहले व बाद में कीटाणु रोधी दवाई के घोल में थनों को डुबोयें, शुष्क हाथों से दूध निकालें, अंगूठा बाहर करके बंद मुट्ठी से ही दूध निकालें. दूध की पहली कुछ बूंदों को अलग बर्तन में निकालें लेकिन फर्श पर कभी न डालें.
क्या न करें
· दूध निकालते समय धूल भरा चारा न दें.
· खुले मुंह के बर्तन का प्रयोग न करें.
· दूध निकालते समय पशु को न डरायें.
· पानी या दूध गीले हाथों से न निकालें
· अंगूठा अन्दर दबाकर दूध न निकालें.
· बीमार व स्वस्थ पशु का दूध इकट्ठा न निकालें.
· थनों को नीचे की ओर न खींचें.
· दूध निकालते समय दुर्गन्धयुक्त चारा न दें.
· लम्बे समय तक दूध को खुला न रखें.
क्या करें :
· पशु की दूध निकालने वाली साईड़ के बढ़े हुए बालेां को ल्योटी के पास से काट देना चाहिए ताकि पशु के बाल दूध में न गिरे.
· पशु की ल्योटि व थनों को साफ तौलिए या कपड़े से साफ करना चाहिए.
· दूध निकालने का सुबह शाम का समय निश्चित रखें.
· दुधारू पशुओं में दूध उतारने के लिए जिम्मेदार हार्मोन का प्रभाव 6-7 मिनट तक रहता है इसलिए इतने समय में सारा दूध निकाल लें.
· अस्वच्छ दूध के बर्तन, दूध को बहुत जल्दी खराब कर देते हैं, जिससे दूध ख़राब व खट्टा हो जाता हैं अत: बर्तनों को दूध निकालने के तुरन्त बाद साफ एवं गर्म पानी से धोयें ताकि दूध बर्तनों पर चिपका न रहे.
· दूध वाले बर्तनों की साफ़ सफाई रखें, उनकी सतह समतल हो, धोने के बाद सुखा कर उल्टा रखें, बर्तन का मुंह कम चौड़ा होना चाहिए.
· अंगूठा बाहर रखकर पूर्ण-हस्त-विधि से दूध निकालें.
Leave a comment