नई दिल्ली. जल प्रबंधन खेती के लिए जल बेहद ही जरूरी है. एक्सपर्ट अंशु गंगवार, शाश्वत कुमार, गौरव सिंह और भास्कर प्रताप सिंह कहते हैं कि भारत में विश्व के मात्र 4 प्रतिशत जल संसाधन की उपलब्धता है. जबकि देश में 83 प्रतिशत पानी का इस्तेमााल कृषि के लिए होता है. भारत में पशुपालन भी तेजी के साथ हो रहा है. खाने वाली चीजों की कमी को देखते हुए पशुपालन को बढ़ावा भी दिया जा रहा है. ऐसे में कुशल जल प्रबंधन कर चारा कृषि उत्पादन के साथ-साथ जल की दक्षता को भी बढ़ाया जा सकता है. इससे भविष्य में पानी की कमी भी नहीं होगी और पशुओं के लिए जरूरी चारा भी उपलब्ध हो जाएगा.
चारा उत्पादन के लिए भूमि की तैयारी, लवण निक्षालन तथा पाले से बचाव के लिए भी जल की आवश्यकता होती है. अधिक और कम जल की मात्रा भी पौधे की ग्रोथ और उसके विकास के लिए नुकसानदेह है. इसलिए जरूरत के अनुसार सिंचाई करना आवश्यक है. पूरे खेत की सिंचाई करके जल बर्बाद करने की बजाय जड़ क्षेत्र की सिंचाई करके जल का उपयोग करना अधिक महत्वपूर्ण है.
पानी केे जरिए इस तरह होता है पौधों का विकास
कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश है. इसके बिना सफल चारा खेती की कल्पना नहीं की जा सकती है. सिंचाई एक ऐसी कांसेप्ट है, जो पुराने समय से चली आ रही है और इसकी तकनीकों में लगातार सुधार किया जा रहा है. चारा पौधों को उचित वृद्धि एवं विकास के लिए जल की आवश्यकता होती है. पौधों के लिये आवश्यक कई प्रकार के खनिज तत्व और रासायनिक यौगिक, मिट्टी में मौजूद रहते हैं. पौधे उन्हें ग्रहण नहीं कर पाते हैं. पानी, भूमि में उपस्थित इन तत्वों को घुलनशील बनाता है तथा पोषक तत्वों के अवशोषण तथा पौधों के हरे हिस्से में उन्हें पहुंचाने में सहायता करता है.
तो ज्यादा इस्तेमाल होगा पानी
पौधों को दो कार्यों के लिये पानी की आवश्यकता होती है. एक तो पौधों की संरचना के लिये तथा दूसरा ट्रांसपीरेशन के लिए. पौधे की स्ट्रक्चर में कितना पानी लगेगा, यह पौधे के गुणसूत्र पर निर्भर करता है. पौधे अपने स्ट्रक्चर के लिए कितना पानी लेते हैं, यह ट्रांसपीरेशन में लगने वाला पानी के वातावरण की स्थिति पर निर्भर करता है. वातावरण में अगर अधिक जल ग्रहण करने वाली परिस्थितियां हैं, तो जल अधिक लगेगा और अगर ये कम जल ग्रहण करने वाली है, तो कम पानी को आवश्यकता होगी.
पानी का स्टोरेज करना है जरूरी
पौधे की संरचना को बढ़ाने में कुल जल का प्रतिशत भाग ही व्यय होता है, शेष लगभग 66 प्रतिशत ट्रांसपीरेशन द्वारा बरसात के मौसम में कैचमेंट को कम करने और फसल जड़ क्षेत्र में अधिक जल जमा करने के लिए उन्नत जल प्रबंधन तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है. मिट्टी की नमी के स्तर को बढ़ाने के लिए पानी का संचयन और स्टोरेज करना जरूरी है. वहीं पानी तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है. यह शुष्क मौसम के दौरान पौधों के विकास के लिए उपलब्ध होगा. फसलों को उनकी आवश्यकता के मुताबिक जल उपलब्ध करवाने, उत्पादकता बढ़ाने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक रूप से स्थापित तरीकों से जल के इस्तेमाल को कृषि जल प्रबंधन कहा जाता है.
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