नई दिल्ली. पशु का आवास जितना अधिक साफ और आरामदायक होता है, पशु का स्वास्थ्य उतना ही अधिक ठीक रहता है. जिससे वह अपनी क्षमता के अनुसार उतना ही अधिक दूध का उत्पादन करने में सक्षम हो सकता है. इसलिए दुधारू पशु के लिए साफ सुथरी तथा हवादार पशुशाला बनानी चाहिए. क्योंकि इसके न होने से पशु कमजोर हो जाता है और उसे कई तरह की बीमारियां लगने का खतरा हो जाता है. बीमारी जब लगती है तो पशु की उत्पादन क्षमता पर भी इसका असर पड़ता है. उत्पादन कम होने की वजह से पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ जाता है.
एक्सपर्ट का कहना है कि एक आइडियल पशुशाला बनाने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद ही जरूरी होता है. जिसमें से सबसे जरूरी बिजली, पानी की सुविधा है. पशुशाला के स्थान पर बिजली व पानी की उपलब्धता का भी ध्यान रखना आवश्यक है. क्योंकि डेयरी के कााम के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा में जरूरत होती है. इसी तरह वर्तमान समय में गौशाला के लिए बिजली का होना भी आवश्यक है. क्योंकि रात को रोशनी के लिए तथा गर्मियों में पंखों के लिए इसकी जरूरत होती है.
स्थान का चयन कैसे करें
गौशाला का स्थान समतल और बाकी जगह से कुछ ऊंचा रखना चाहिए. ताकि बारिश का पानी, मल-मूत्र तथा नालियों का पानी आदि आसानी से बाहर निकल सकें. यदि गहरे स्थान पर गौशाला बनायी जाती है तो इसके चारों ओर पानी तथा गंदगी एकत्रित होती रहती है. जिससे गौशाला में हमेशा बदबू रहती है. गौशाला के स्थान पर सूरज की रौशनी का होना भी जरूरी है. धूप कम से कम तीन तरफ से लगनी चाहिए. गौशाला की लम्बाई उत्तर-दक्षिण दिशा में होने से पूर्व व पश्चिम से सूरज की रोशनी खिड़कियों व दरवाजों के द्वारा गौशाला में एंट्री करेगी. सर्दियों में ठंडी व वर्फीली हवाओं से बचाव का ध्यान रखना भी जरूरी है. गौशाला का स्थान पशुपालक के घर के नजदीक होना चाहिए. ताकि वह किसी भी समय जरूरत पड़ने पर तुरंत गौशाला पहुंच सके. व्यापारिक माप पर कार्य करने के लिए गौशाला का सड़क के नजदीक होना आवश्यक है. ताकि दूध लेजाने दाना चारा व अन्य सामान लाने-लेजाने में आसानी हो तथा खर्चा भी कम हो.
ये सुविधाएं हाोनी चाहिए
गौशाला के स्थान का चयन करते समय चारे की उपलब्धता का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है क्यों कि चारे के बिना दुधारू पशुओं का पालना एक असम्भव कार्य है. हरे चारे के उत्पादन के लिए जरूरी मात्रा में सिंचित कृषि योग्य भूमि का होना भी आवश्यक है. चारे की उपलब्धता के अनुरूप ही दुधारू पशुओं की संख्या रखी जानी चाहिए. पशुओं के कार्य के लिए श्रमिक की उपलब्धता भी उस स्थान पर होनी चाहिए. क्योंकि बिना मजदूरों के बड़े पैमाने पर डेयरी का कार्य चलाना बेहद मुश्किल है. डेयरी उत्पाद जैसे दूध, पनीर, खोया आदि के बेचने की सुविधा भी पास में होना जरूरी है. इसलिए स्थान का चयन करते समय डेयरी उत्पाद के विपणन सुविधा को भी ध्यान में रखना आवश्यक है.
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