नई दिल्ली. गिर-बद्री गाय के दूध से बना घी लॉन्च किया गया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुजरात के आणंद में राष्ट्रीय डेयरी विकासबोर्ड (NDDB) के हीरक जयंती समारोह और त्रिभुवन पटेल की जयंती पर इसे लॉन्च किया है. गिर गाय केे घी को मदर डेयरी ने बनाया है. जबकि बद्री गाय के दूध से बने घी को उत्तराखंड कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने बनाया है. आपको बताते चलें कि मदर डेयरी ने ट्रेसबिलिटी सिस्टम को भी ईजाद किया है, जिसे इस कार्यक्रम में लॉन्च किया गया है. इस सिस्टम की मदद से अब डेयरी प्रोडक्ट के बारे में हर एक जानकारी इसके इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों की मोबाइल स्क्रीन पर होगी.
इसमें कोई शक नहीं है कि पहले के मुकाबले अब ग्राहक बहुत जागरुक हो चुके हैं. अगर फूड आइटम की बात करें तो अभी ग्राहक पैकेट पर बनने की तारीख से लेकर इस्तेमाल करने एक्सपायरी डेट ही देखते हैं लेकिन अब ग्राहक यह भी जानना चाहते हैं कि उस प्रोडक्ट में क्या-क्या शामिल है. वो आया कहां से है. दरअसल, ये जागरुकता बढ़ती हुई बीमारियों की वजह से आई है और ये बीमारियां मिलावटी सामानों की वजह से आ रही है. मिलावटी फूड खाकर लोगों को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां हो रही हैं.
डेयरी मंत्री ने भी जताई है चिंता
गौरतलब है कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद के लिए बनाए जा रहे लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट का मामला अभी ज्यादा पुराना नहीं है. जबकि घी लॉन्चिंग प्रोग्राम में ही केंद्रीय डेयरी मंत्री ने बयान में कहा है कि मिलावटी दूध बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में असंगठित क्षेत्र के लोग दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए इसमें यूरिया तक का इस्तेमाल कर रहे हैं. जबकि इंजेक्शन भी लगाया जा रहा है. इसी तरह के दूध से मिठाइयां और पनीर आदि बन रहा है. जिसे खाकर लोग बीमार पड़ रहे हैं. हर दिन 8 से 10 लोग कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से पीड़ित बताए जा रहे हैं.
जानें क्या है ट्रेसबिलिटी सिस्टम
मदर डेयरी के ट्रेसबिलिटी सिस्टम की बात की जाए तो एआई की मदद से सिर्फ एक क्यूआर कोड से आप अपने प्रोडक्ट से जुड़ी एक-एक जानकारी अपने ग्राहकों हो जाएगी. मसलन दूध या फिर कोई अन्य डेयरी प्रोडक्ट खरीदा है तो पैक पर दिए गए बार कोड को स्कैन करके ये पता लगाया जा सकता है कि गाय-भैंस को वक्त से कौन-कौन सी वैक्सीन लग चुकी हैं. गाय-भैंस को कोई बीमारी तो नहीं है. दूध के कौन-कौन से टेस्ट हुए हैं. दूध में फैट और एसएनएफ की मात्रा कितनी है. पशु कहां का रहने वाला है. उस इलाके में कोई बीमारी तो नहीं है. इतना हीं ये जानकारी भी मिलेगी कि किस नस्ल की गाय और भैंस का दूध है.
ट्रेसबिलिटी सिस्टम कैसे करता है काम
हो सकता है कि आप ये सोच रहे हों कि ट्रेसबिलिटी सिस्टम कैसे काम करेगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गाय और भैंस के कान में प्लास्टिक का एक टैग लगाया जाता है. जिसपर एक नंबर होता है. इस नंबर को डेयरी विभाग की वेबसाइट से लिंक किया जाता है. जिसमें पशुओं से जुड़ी वो तमाम जानकारी रहती है जो आपको बताई गई है. इन्हीं जानकारियों को डेयरी फूड के पैक पर क्यूआर कोड में दर्ज कर दिया जाएगा. जब ग्राहक क्यूआर को स्कैन करेंगे तो उन्हें इसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी.
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