Home पशुपालन Animal News: गधे-घोड़ों में पिरोप्लाजमोसिस बीमारी की जांच करेगी भारत की एकमात्र लैब, WOAH ने दिया दर्जा
पशुपालन

Animal News: गधे-घोड़ों में पिरोप्लाजमोसिस बीमारी की जांच करेगी भारत की एकमात्र लैब, WOAH ने दिया दर्जा

animal husbandry
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. हरियाणा के हिसार में NRC इक्विन में गधे-घोड़ों में होने वाली बीमारी पिरोप्लाजमोसिस की जांच हो सकेगी. संस्थान को WOAH ने ये दर्जा दिया है. बताया गया कि अब यह प्रयोगशाला इक्विन पिरोप्लाजमोसिस के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अहम भूमिका निभाएगी. इसे भारत के पशु स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि के तौर पर माना जा रहा है. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय इक्विन अनुसंधान केंद्र, हिसार (NRC इक्विन) को इक्विन पिरोप्लाजमोसिस के लिए विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) से प्रयोगशाला के रूप में दर्जा दिलाने में मदद की है. ये वैश्विक मान्यता भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं, डाइग्नोस्टिक बुनियादी ढांचे और महत्वपूर्ण पशु स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में अग्रणी भूमिका की ओर इशारा करती है.

गौरतलब है कि 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 0.55 मिलियन घोड़े, टट्टू, गधे, खच्चर हैं जो तामाम लोगों की आजीविका और उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस आबादी में लगभग 0.34 मिलियन घोड़े और टट्टू, 0.12 मिलियन गधे और 0.08 मिलियन खच्चर शामिल हैं. जिनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों में इनकी संख्या सबसे अधिक है. WOAH से मिला प्रयोगशाला का ये दर्जा न केवल रिसर्च और डाइग्नोस्टिक में अंतरराष्ट्रीय मानकों के प्रति भारत के पशु पालन की पुष्टि करता है बल्कि विश्व में पशु स्वास्थ्य में भारत के योगदान को मानता दिखाई दे रहा है.

दर्जा पाने वाला भारत का है चौथा संस्थान
अब तय है कि एनआरसी इक्विन अब अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उन्नत नैदानिक सेवाएं प्रदान करेगा, तकनीकी विशेषज्ञता शेयर करेगा और इक्विन पिरोप्लाजमोसिस पर रिसर्च पहल करेगा. यह मान्यता आईसीएआर-एनआरसी इक्विन को भारत के पशुपालन क्षेत्र में WOAH संदर्भ प्रयोगशाला का दर्जा प्राप्त करने वाली चौथी प्रयोगशाला बनाती है. इससे पहले पशु चिकित्सा महाविद्यालय, कर्नाटक पशु चिकित्सा पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलोर (रेबीज) और आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान और रोग सूचना विज्ञान संस्थान, बैंगलोर (पीपीआर और लेप्टोस्पायरोसिस) को भी WOAH दर्जा मिल चुका है.

अगले साल होगा इसका ऐलान
एनआरसी इक्विन को WOAH संदर्भ प्रयोगशाला के रूप में आधिकारिक रूप से नामित करने की घोषणा मई है. अगले साल 2025 में 92वें WOAH आम सत्र और प्रतिनिधियों की विश्व सभा में इसका औपचारिक रूप ऐलान किया जाएगा. यह मील का पत्थर वाली कामयाबी भारत की डाइग्नोस्टिक क्षमताओं को आगे बढ़ाने, साझेदारी स्थापित करने और पशु हैल्थ में भारत के नेतृत्व को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है. यह वैश्विक पशु स्वास्थ्य में भारत के बढ़ते प्रभाव को भी उजागर करता है, विशेष रूप से इक्वाइन पिरोप्लाज्मोसिस से निपटने में, एक बीमारी जिसका अंतरराष्ट्रीय इक्वाइन उद्योग पर काफी प्रभाव पड़ता है.

इक्वाइन पिरोप्लाजमोसिस बीमारी क्या है, जानें यहां
इक्वाइन पिरोप्लाज़मोसिस, टिक-जनित प्रोटोज़ोअन परजीवी बेबेसिया कैबली और थेलेरिया इक्वी के कारण होता है. जो घोड़ों, गधों, खच्चरों और ज़ेबरा को प्रभावित करता है और इन जानवरों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है. जिसका आर्थिक प्रभाव भी बहुत ज़्यादा होता है. भारत भर में इसकी सीरोप्रिवलेंस दर 15-25 फीसदी बताई गई है. कुछ उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में, यह व्यापकता 40 फीसदी तक पहुंच सकती है, जिसके चलते उत्पादकता में कमी, स्वास्थ्य में गिरावट और घोड़ों की आवाजाही और निर्यात पर प्रतिबंध के कारण बड़ा आर्थिक नुकसान होता है. कठोर नियंत्रण और शीघ्र निदान की आवश्यकता को समझते हुए, डीएएचडी ने एनआरसी इक्विन को अश्व रोगों के लिए भारत के राष्ट्रीय संदर्भ केंद्र के रूप में प्राथमिकता दी है और संस्थान ने इक्विन पाइरोप्लाज्मोसिस के लिए अत्याधुनिक नैदानिक उपकरण विकसित किए हैं. जैसे एंटीजन पर आधारित एलिसा, अप्रत्यक्ष फ्लोरोसेंट एंटीबॉडी टेस्ट, एंटीबॉडी का पता लगाने और रक्त स्मीयर परीक्षा के लिए प्रतिस्पर्धी एलिसा, एमएएसपी इन-विट्रो कल्चर सिस्टम और एंटीजन का पता लगाने के लिए पीसीआर.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Napier Grass, Animal Husbandry, Elephant Grass
पशुपालन

Green Fodder: पशुओं के लिए इस चारा फसल की करें बुवाई, सालभर हरे चारे की टेंशन हो जाएगी खत्म

हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज का कहना है कि...