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Animal News: 60 साल के हाथी का मनाया जा रहा 14वां बर्थडे, ऐसे मौत की सड़क से जिंदगी की पटरी पर लौटा

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बर्थडे पर दावत का लुल्फ लेता भोला हाथी.

नई दिल्ली. वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में उत्सव का माहौल था, मौका था 60 साल के हाथी के 14वें जन्मदिन का. आप भी सोच में पड़ गये हों​गे कि 60 साल के हाथी का 14वां जन्मदिन क्यों मनाया जा रहा है. दरअसल, कहानी कुछ यूं है कि जब भोला नाम के हाथी की उम्र 44 साल थी तो वो एक ट्रक से टकरा गया था. इसके चलते वो जिंदगी और मौत के दरमियान जूझ रहा था, तब उसे वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र का सहारा मिला और वो अब एक तरह से दूसरी जिंदगी जी रहा है. इस वाकिये को गुजरे हुए 14 साल हो गए हैं. इसलिए उसका 14वां बर्थडे मनाया जा रहा है.

दरअसल, 2010 में नोएडा में भोला नाम का हाथी एक ट्रक से टकराकर घायल हो गया था और और सड़क पर बेहोशी की हालत में पड़ा था और उसके शरीर पर कई जगह चोटों के निशान थे. जब वो कुछ संभला तो इधर-उधर गलियों में भटक रहा था. क्योंकि उसकी एक आंख की रोशनी चली गई​ थी और एक आंख से बहुत कम दिख रहा था. पूंछ भी जख्मी थी. पीड़ित भोला के बचने की संभावना कम लग रही थी. लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था, फिर उसे विशेषज्ञों की देखभाल मिली और इस वक्त वो मथुरा के हाथी संरक्षण केंद्र में लगभग ठीक हो चुका है.

तनाव भी हो गया है कम
अब उसकी पूंछ और शरीर के घाव ठीक हो रहे हैं, और उसकी देखभाल में एंटीसेप्टिक ड्रेसिंग और नियमित फुट बाथ को शामिल किया गया है. अंधेपन के बावजूद, भोला की देखभाल में मदद करने के लिए टारगेट ट्रेनिंग जारी रहती है. विशेष रूप से मस्थ अवधि के दौरान (एक ऐसी स्थिति जिसमे टेस्टोस्टेरोन स्तर बढ़ जाता है, जिसकी वजह से हाथी आक्रामक हो जाते है, जो नर हाथियों में अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है). भोला अपनी टारगेट ट्रेनिंग सत्रों के लिए स्पर्श, ध्वनि और मेमेरी इस्तेमाल करके संकेतों का पालन कर रहा है. वहीं एक सुचारू दिनचर्या की वजह से उसका तनाव भी कम हो गया है.

भोला को बर्थडे पर मिली शानदार दावत
भोला की 14वीं रेस्क्यू वर्षगांठ के मौके पर केंद्र में उसके लिए एक फ्रूट फीस्ट (फलों की दावत) आयोजित की गई, जिसमें भोला का पसंदीदा फल, तरबूज शामिल था. वैसे भी उसका आहार भी उसकी खास जरूरतों के मुताबिक बहुत ही ध्यान से तैयार किया जाता है, जिसमें बाजरा और ज्वार जैसे ताजा हरा चारा, सब्जियां और भूरे चावल, रागी और मल्टीविटामिन का विशेष रूप से तैयार किया गया दलिया शामिल है.

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केंद्र के परिसर में टहलता भोला हाथी.

धीरे-धीरे ठीक हो रहा है भोला
वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु-चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डॉ. एस. इलियाराजा ने ने बताया कि अपने लगभग अंधेपन के बावजूद, भोला अपनी मेमोरी का इस्तेमाल अपने परिसर में घूमने और अपने देखभाल करने वालों पर भरोसा करने के लिए करता है, जो अविश्वसनीय भरोसे का सुबूत है. उन्होंने कहा कि हम दैनिक दिनचर्या के माध्यम से भोला के आराम और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना जारी रखते हैं, उसे हैल्दी देखना बेहद ही खुशी की बात है. हाथी को यहां बेहिसाब प्यार दिया जाता है.

टीम को मिल रही प्रेरणा
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, भोला की कहानी अविश्वसनीय जीत है. उसे ठीक होते देखना, मजबूत होते देखना और इंसानों पर फिर से भरोसा करते हुए देखना वास्तव में प्रेरणादायक है. वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने बताया, हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में भोला की उपस्थिति हमारी टीम को प्रेरित करती रहती है. उसकी विनम्रता हमें धैर्य और प्रेम का मूल्य सिखाती है, और उसके साथ हर दिन हमे हमारे उद्देश्य की याद दिलाता रहता है, जिसे हमें अभी भी हासिल करने की आवश्यकता है.

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