नई दिल्ली. हाल ही में अमेरिका में बर्ड फ्लू यानि एवियन इंफ्लूएंजा से एक मौत का मामला सामने आया है. जिसके बाद दुनियाभर में बर्ड फ्लू को लेकर एहतियात बरती जाने लगी है. भारत में फिलहाल अभी तक इस बीमारी का कोई असर नहीं है और न ही भारत सरकार की ओर से इसको लेकर कोई एडवाइजरी जारी की गई है. फिर भी ये खतरनाक बीमारी है और इसमें अपने स्तर से जरूरी एहतियात बरतने की जरूरत होती है. खासतौर पर पोल्ट्री फॉर्मर्स को मुर्गियों को लेकर ज्यादा अवेयर रहने की जरूरत होती है, क्योंकि इस बीमारी के फैलने से पोल्ट्री कारोबार को एक झटके में बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है.
आप भी पोल्ट्री कारोबारी हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है. अगर इसका वायरस फैलता भी है तो भी आप जरूरी एहतियाती कदम उठाकर अपने फार्म की मुर्गियों को इस खतरनाक बीमारी से बचा सकते हैं. इससे आपके कारोबार को भी नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. आइए इस बारे में जानते हैं कि पोल्ट्री फॉर्मर्स को क्या-क्या एहतियाती कदम उठाने चाहिए.
क्या करना चाहिए, पढ़ें
-बर्ड फ्लू बीमारी की जांच के लिए हमेशा ही पशु चिकित्सक के द्वारा सैम्पल भिजवाना चाहिए.
-जब तक जांच रिपोर्ट न आ जाए फार्म पर किसी भी व्यक्ति (पोल्ट्री फॉर्मर के अलावा), वाहन आदि की एंट्री पर बैन लगा देना चाहिए.
-बर्ड फ्लू वायरस फैलने के दौरार पोल्ट्री फार्म पर बीमारी की संभावना होने पर पक्षियों को क्यारन्टाइन में रखना चाहिए.
-जब तक खतरा हो, फार्म से पक्षी, अंडे, लिटर, उपकरण आदि का आवागमन व बेचना बंद कर देना चाहिए.
-बर्ड फ्लू के दौरान बायो सिक्योरिटी बहुत ही अहम है. वहीं कीटाणुनाशन के सभी उपाय जरूर कर लेना चाहिए.
-फार्म पर काम करने वाले व्यक्ति को मास्क, डिस्पोजेबल कपड़े, शू-कवर, ग्लब्ज आदि पहनकर ही काम करना चाहिए.
-फार्म के बाहर निकलने पर इन्हें निस्तारित कर देना चाहिए और खुद की सफाई और कीटाणुनाशन प्रक्रिया का ध्यान रखना चाहिए.
-बीमारी की पुष्टि होने पर पशुपालन विभाग के निर्देश के मुताबिक सभी पक्षियों, अंडों, लिटर, दाने आदि का निस्तारण कराकर पूरी तरह से कीटाणुनाशक प्रक्रिया को अपनाएं.
-रोगी पक्षी के सीधे सम्पर्क से अथवा संक्रमित बींट व नाक व आंख के स्राव के संपर्क में आये व्यक्ति, आहार, पानी, उपकरणों आदि से यह रोग फैलता है.
-याद रखें कि जिन पक्षियों में वायरस हो उन्हें ढके हुए बाड़ों में रखें या घर में रखें. संक्रमित पक्षियों और उनके मल, लार, और अन्य स्रावों से दूरी बनाएं रखें.
-ये भी जान लें कि रोग के संक्रमण पर 3-5 दिन में लक्षण दिखाई देते हैं. अगर फार्म पक्षियों के नए झुंड आ जाएं तो पूरे फार्म का 21 दिनों तक परीक्षण करें.
-कोशिश करें कि बर्ड फ्लू से प्रभावित पक्षियों को एक ही जगह पर रखा जाए. प्रभावित पक्षियों के पास मौजूद सभी उपकरण भी वहीं रखें.
जानें कैसे फैलती है ये बीमारी
-इस बीमारी के वायरस रोगी पक्षी की लार, नाक और आंख के स्राव व बीट में पाया जाता है.
-इंफेक्टेड मुर्गी के सीधे सम्पर्क में आने से संक्रमित बीट व नाक व आंख के स्राव के संपर्क में आए व्यक्ति, आहार, पानी, उपकरणों आदि से यह रोग फैलता है.
बीमारी के लक्षण के बारे में भी पढ़ें
-अचानक अधिक संख्या में मुर्गियों की मौत होने लग जाती है.
-मुर्गियां सुस्त होकर खाना पीना बंद कर देती हैं.
-अंडा उत्पादन में गिरावट हो जाती है.
-मुर्गी को तेज जुखाम व नाक के छेद व आंख से स्राव होता है.
-पक्षी के सिर व गर्दन पर सूजन आ जाती है.
-कलंगी व लटकन पर सूजन एवं नीलापन आ जाता है.
-बर्ड फ्लू रोग का उपचार नहीं है, इसलिए बचाव ही उपचार है.
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