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Bird Flu: बर्ड फ्लू में भी खाया जा सकता है अंडा-चिकन, जानें क्या है इस बारे में AIIMS की सलाह

Central government seeks suggestions from poultry farmers to increase export of chicken-eggs, read details
प्रतीकात्मक फोटो. Live stock animal news

नई दिल्ली. अमेरिका के लुइसियाना के अस्पताल में एक व्यक्ति की बर्ड फ्लू के एच5एन1 संक्रमण के चलते मौत हो गई. जिसके बाद पूरी दुनिया में इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई. जरूरी एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं. भारत में फिलहाल इस बीमारी का कोई खतरा नहीं है. न ही अभी तक सरकार की ओर से इसको लेकर कोई बयान दिया गया है, लेकिन बर्ड फ्लू का खौफ इतना ज्यादा है कि हजारो किलोमीटर दूर भी इसका केस आ जाता है तो लोग घबरा जाते हैं. हालांकि घबराने की जरूरत नहीं है. आप अगर पोल्ट्री प्रोडक्ट अंडा-चिकन खाने के शौकीन हैं तो इसे शौक से खाइए इससे आपको बर्ड फ्लू का कोई खतरा नहीं होगा.

ये बात तो है कि बर्ड फ्लू ​मुर्गियों में होता है और अगर मुर्गियों को जाए तो इससे उत्पादित मीट और अंडों में भी वायरस आ सकता है लेकिन चिकन और अंडे को आधे घंटे तक या फिर 70 डिग्री फार्रेनहाइट पर पकाया जाए तो वारयस का खतरा खत्म हो जाता है. अंडा-चिकन खाना बिल्कुल सेफ हो जाता है. इस बारे में आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस नई दिल्ली एम्स ने पहले से ही गाइडलाइंस जारी की हुई कि आम लोगों को क्या एहतियात बरतनी चाहिए. आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.

खुद को कैसे बर्ड फ्लू से बचाएं, पढ़ें यहां
-संक्रमित या संदिग्ध पक्षियों और जानवरों के साथ संपर्क में आने से बचें.
-मुर्गियों की बीट, लार और नाक-आंख से निकले वाले अन्य स्राव से बचें
-कच्चे, अधपके और सही न पके पोल्ट्री प्रोडक्ट जैसे मुर्गियों के मांस और अंडों का सेवन न करें.
-चिकन और अंडे को आधा घंटे तक पकाएं 70 डिग्री फार्रेनहाइट से बर्ड फ्लू वायरस मर जाता है.
-पोल्ट्री और पोल्ट्री प्रोडक्ट का सेवन करने के लिए अच्छी तरह से धोएं और फिर उसे पकाएं.-अगर आप लोगों ने अंडों को छुआ है या शरीर के किसी हिस्से में स्पर्श हुआ है तो उस जगह को साबुन और पानी से धोएं.

क्या हैं मुर्गियों के संक्रमित होने के लक्षण
मुर्गियां अगर बर्ड फ्लू के वायरस से संक्रमित हैं तो एनर्जी और भूख की कमी उनमें दिखाई देती है.

मुर्गियां के सिर, पलकें, काम्ब् और पैरों पर सूजन नजर आती है.

मुर्गियों काम्ब का रंग बदल जाता है. उनके पंख गंदे हो जाते हैं.

मुर्गियों के नाक से स्राव बहने लग जाता है.

इस बीमारी में मुर्गियों को खांसी और छींकना की दिक्कत भी होती है.

मुर्गियों में दस्त की भी शिकायत होती है.

अचानक से मुर्गियों में मृत्युदर दिखाई देती है. ज्यादातर मुर्गियां मरने लगती हैं.

इंसानों में में कैसे फैलती है ये बीमारी
मुर्गी फार्म पर काम करने वालों को मुर्गियों के संपर्क से ये बीमारी इंसानों में फैलती है.
वहीं संक्रमित पोल्ट्री (मुर्गियां, बत्तखें आदि) और उनके बीट से बीमारी का प्रसार होता है.

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