नई दिल्ली. मछली पालन कमाई करने का एक शानदार कारोबार है. अगर आप मछली पालन करते हैं तो सालाना 5 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. फिश एक्सपर्ट का कहना है की मछली पालन एक ऐसा बिजनेस है, जिसमें एक एकड़ के तालाब से आप 20 से 25 क्विंटल मछलियां निकालते हैं, जिससे करीब 5 से 6 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है. अगर फीड पर आने वाला खर्च को कम कर दिया जाए तो मुनाफा और ज्यादा बढ़ सकता है. इसलिए बहुत से फिश फार्मर्स फीड की लागत कम करने के लिए एक्सपर्ट से सलाह मशविरा करते रहते हैं, ताकि उन्हें ज्यादा मुनाफा हो सके.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मछली पालन में फीड पर खर्च कम करने के लिए सरकारें योजनाएं भी चलाती हैं. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भी मछली पालन में फीड के खर्चे को कम करने के लिए 60 फीसदी तक तक सब्सिडी देने का प्रावधान है. यूपी के मछली पालक इस योजना का फायदा ले सकते हैं. फिश एक्सपर्ट की मानें तो मछली पालन में फीड, बच्चे और रखरखाव पर तकरीबन 1 लाख रुपये तक का खर्च हो जाता है. अगर आप इस खर्च को कम करने में सफल होते हैं तो ज्यादा फायदा कमा सकते हैं. यहां हम आपको कुछ तरीके बसे बताने जा रहे हैं, जिससे आप फीड की खर्च को कम कर सकते हैं.
यहां पढ़ें लागत कम करने के बारे में
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि धान के खेत में अगर मछली का पालन किया जाए तो इससे फीड का खर्चा कम किया जा सकता है.
धान के खेत में पानी की ओर से आने वाले कीट-पतंगों को मछलियां खाती हैं. इसे उन्हें फीड काम देने की जरूरत पड़ती है.
जबकि ऐसी कई मछलियां हैं जो कीट-पतंगों को ही खाकर अपना काम चला लेती हैं. इसलिए ये तरीका मछली पालन में फीड के खर्च को कम कर देता है.
फिश एक्सपर्ट के मुताबिक अगर तालाब के पास भैंस पाला जाए तो इससे भी फीड के खर्चे को काम किया जा सकता है.
भैंस का गोबर भी मछलियों के लिए भोजन का काम करता है. मछली पालक इस तरीके को भी अपनाकर फीड पर आने वाला खर्च कम कर सकते हैं.
मछली पालन के साथ बत्तख पालन करने पर भी फीड का खर्च कम होता है. बत्तख जो बीट तालाब में करती है, मछलियों के लिए बेहतरीन आहार होता है.
फिश फार्मिंग में फीड के खर्चे को कम करने के लिए सही मात्रा में दाना देना बेहद जरूरी होता है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि मछलियां कम फीड खा रहीं हों और आप बार-बार तालाब में डालते जा रहे हैं.
कोशिश करें की मछलियों को सुबह और शाम को दाना दें. जब मछलियां फीड को खाना पसंद करती हैं. इससे भी फीड के खर्च को कंट्रोल किया जा सककता है.
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