Home पशुपालन Green Fodder: बरसीम से पशुओं को मिलता है भरपूर प्रोटीन, इस किस्म का बीज बोएं खूब मिलेगा हरा चारा
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Green Fodder: बरसीम से पशुओं को मिलता है भरपूर प्रोटीन, इस किस्म का बीज बोएं खूब मिलेगा हरा चारा

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. बरसीम के हरे चारे में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. इस वजह से बरसीम पशुओं खिलाने के कई फायदे होते हैं. इसे खिलाने से पशुओं की हैल्थ अच्छी रहती है और दूध उत्पादन भी बढ़ता है. वहीं आप बरसीम की खेती करते हैं तो इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी सुधर जाती है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि बरसीम में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है. जिससे पशुओं को प्रोटीन मिलता है और वह हेल्दी रहते हैं. बरसीम पशुओं के लिए पौष्टिक और रसीला चारा है. अगर पशुपालन में बरसीम खिलाया जाए तो पशुओं को भूसा चोकर कम देना पड़ता है. जबकि बरसीम खेती साल भर की जा सकती है.

अगर आप भी पशुओं को बरसीम खिलाना चाहते हैं तो इसकी खेती करनी चाहिए. ताकि आपके पास साल भर पशुओं के लिए भरपूर हरा चारा उपलब्ध रहे और जो पशुओं के लिए पौष्टिक भी हो. बरसीम की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

कब करना चाहिए बरसीम की कटाई
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि बरसीम पशुओं के लिए गुणकारी चारा है. इसमें 18 से 22 परसेंट प्रोटीन होता है. सर्दियों में 6 से 4 से 6 कटाइयां इससे मिलती हैं. बरसीम का बीज करीब 300 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलता है. एक एकड़ में 2 क्विंटल तक बरसीम का बीज पैदा किया जा सकता है. बरसीम की फसल से मार्च के तीसरे सप्ताह तक तीन कटाई के बाद बीज बना सकते हैं. इससे किसानों का मुनाफा बढ़ जाएगा. बरसीम की फसल 60 दिनों के पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है. वहीं सर्दियों में कटाई 40 दिनों के गैप पर और बसंत के दिनों में 30 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए.

बरसीम की खेती में इन बातों का दें ध्यान
अधिक बीज उत्पादन के लिए 25 मार्च के आसपास आखिरी कटाई लेने के बाद सिंचाई तुरंत कर देनी चाहिए. इसके बाद बरसीम की फसल को बीज उत्पादन के लिए छोड़ दें. बरसीम का बीज मई के अंत में तैयार होता है और इसकी पैदावार लगभग 2 घंटे प्रति एकड़ होती है. एक्सपर्ट के मुताबिक बरसीम बीज की हिसार बरसीम की एक किस्म अधिक पत्तेदार, जल्दी बढवार और 8 से 10 दिन तक हरी रहने वाले किस्म होती है. यह 280 से 300 क्विंटल प्रति एकड़ में हरा चारा देती है. बीज तैयार करने के लिए बरसीम से दूसरे गैरजरूरी पौधे निकाल देना चाहिए. पकी हुई फसल को सुबह-सुबह काटना चाहिए. जहां बीमारी दिखाई दे फसल को काट दें.

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