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Animal Husbandry: इस राज्य में गायों के चारे पर 5 साल में खर्च हुए 284 करोड़ रुपये

इस मौसम में जब पशु डिहाइड्रेट होते हैं तो उनकी खाल में झुर्रियां दिखाई देती हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. कई राज्यों ने बेसहारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए आवारा पशुओं के लिए गौशालाएं और आश्रय गृह बनाए गए हैं. ऐसे पशुओं के भोजन की व्यवस्था की है. हरियाणा सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाए हैं. गायों के चारे पर पांच वर्षों में 284 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. ये जानकारी मंत्रालय ने दी. पशुओं का संरक्षण, सुरक्षा और सुधार, पशु रोगों की रोकथाम, पशु चिकित्सा ट्रेनिंग और प्रैक्टिस राज्य की जिम्मेदारी है.
स्थानीय निकाय पशु बाड़ों और बाड़े के लिए जिम्मेदार हैं. इसलिए राज्य पंचायतों को आवारा पशुओं को रखने के लिए पशु बाड़े (कांजी हाउस)/गौशाला आश्रय (सामुदायिक संपत्ति) बनाने और चलाने का अधिकार भी है. हरियाणा सरकार ने पशुपालन एवं डेयरी विभाग और हरियाणा गौ सेवा आयोग द्वारा कई कदम उठाए हैं.

राज्य में गौशालाएं जिनका प्रबंधन मुख्य रूप से गैर सरकारी संगठनों द्वारा किया जाता है, राज्य में आवारा पशुओं को भोजन एवं आश्रय प्रदान कर रही हैं. इन संस्थाओं को मजबूत करने के लिए पशुपालन एवं डेयरी विभाग गौशालाओं को चारा खरीदने के लिए सब्सिडी के रूप में आर्थिक मदद दी जा रही है. हरियाणा सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने 5 वर्षों के दौरान इतना अनुदान दिया है.
वर्ष चारा अनुदान राशि (रुपये में)

2020-21

₹8,52,14,500

2021-22

₹25,91,91,600

2022-23

₹27,72,78,300

2023-24

₹69,07,23,425

2024-25 (आज तक)

₹152,63,38,605

कुल

₹2,83,87,46,430

पिछले पांच वर्षों के दौरान राज्य में पंजीकृत गौशालाओं की संख्या 525 से बढ़कर 683 हो गई है. पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने जनवरी 2024 में आवारा पशुओं के पुनर्वास के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया. अब तक 36,641 आवारा पशुओं को 194 गौशालाओं में बदल चुका है. आवारा पशुओं के पुनर्वास के लिए गौशालाओं को प्रोत्साहित करने के लिए इन गौशालाओं को चारे के लिए अनुदान की बढ़ी हुई राशि प्रदान की गई है.

आवारा पशुओं के पुनर्वास के लिए गौशालाओं को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने प्रत्येक जिले के लिए विशेष गौ संरक्षण कार्य बल (एससीपीटीएफ) और एक राज्य स्तरीय विशेष गौ संरक्षण कार्य बल समिति का गठन किया है. राज्य सरकार ने 800.00 लाख रुपये की लागत से गांव नैन (जिला पानीपत) और गांव ढंडूर (जिला हिसार) में 5000 मवेशियों को रखने की क्षमता वाले दो गौ अभ्यारण्य बनाएं. इन अभ्यारण्यों में अब तक लगभग 5500 आवारा पशुओं का पुनर्वास किया जा चुका है. केंद्र सरकार ने गौशालाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन नहीं किया है. हालांकि, हरियाणा सरकार ने विभिन्न उपायों की रिपोर्ट दी है जो आवारा पशुओं के मैनेजमेंट के लिए गौशालाओं और अन्य पहलों को दिखाती है.

गौशालाओं में रखी गई गायों की संख्या दिसंबर 2019 में 3,25,977 से बढ़कर दिसंबर 2024 में 4,05,115 हो गई है.
गौशालाओं की संख्या जिन्होंने गायों को आश्रय और सुरक्षा प्रदान की है, दिसंबर 2019 में 525 से बढ़कर दिसंबर 2025 में 683 हो गई है.
पशुपालन और डेयरी विभाग ने मवेशियों के संरक्षण, इलाज और सुरक्षा के लिए राज्य की विभिन्न गौशालाओं में 14 सरकारी पशु चिकित्सा अस्पताल और 12 सरकारी पशु चिकित्सा औषधालय खोले हैं.
आवारा मवेशियों की सुरक्षात्मक पहल के रूप में, सरकार पिछले वर्ष से ही आवारा पशुओं के पुनर्वास के लिए अभियान चलाया जा रहा है, जो अभी भी जारी है. इस दौरान 36,641 आवारा पशुओं को गौशालाओं में फिर से बसाया गया है. प्रदेश में आवारा पशुओं की संख्या में भारी कमी आई है.
सरकार ने गौशालाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है और जरूरतमंद गौशालाओं को चारा व चारे के लिए वित्तीय अनुदान का प्रावधान किया है.

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