नई दिल्ली. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग मछली पालन से जुड़कर अपनी इनकम को बढ़ा सकें. वहीं सरकार मछुआरों का मु्फ्त में बीमा कवर भी करती है. जानकारी के मुताबिक मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के माध्यम से मौजूदा वक्त में चल रही प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत (पीएमएमएसवाई) तमिलनाडु सहित सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) का संचालन कर रही है.
बता दें कि जिसके तहत बीमा प्रीमियम की पूरी राशि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है. जिसमें लाभार्थी का कोई योगदान नहीं होता है. इस योजना के तहत दिए जाने वाले बीमा कवरेज में मौत या स्थायी व पूरी तरह से शारिरिक अक्षमता के लिए पांच लाख रुपए की मदद मिलती है. वहीं स्थायी आंशिक शारिरिक अक्षमता के लिए 2 लाख 50 हजार रुपए और दुर्घटना की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने 25 हजार रुपए की मदद देने का प्रावधान है.
52.13 करोड़ रुपए की मदद की
गौरतलब है कि गत तीन साल (2021-22 से 2023-24 तक) और वर्तमान वित्तीय वर्ष (2024-25) के दौरान, 131.30 लाख मछुआरों को बीमा कवरेज प्रदान किया गया जिसमें सालाना औसतन 32.82 लाख मछुआरों को बीमा प्रधान किया गया है. इसके नतीजे में अब तक 1710 प्राप्त दावा प्रस्तावों में 1047 दावों का निपटान किया जा चुका है, जिसमें दावा निपटान राशि 52.13 करोड़ रुपए है. इसके अलावा, तमिलनाडु सरकार द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, तमिलनाडु में नामांकित मछुआरों, प्राप्त दावा प्रस्तावों और निपटाए गए दावों का विवरण अनुबंध में दिया गया है. मत्स्य पालन विभाग की ओर से भारत सरकार ने गत 4 वर्षों (2020-21 से 2023-24) और वर्तमान वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान 8926.33 करोड़ रुपए के केंद्रीय अंश के साथ कुल 20990.79 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजनाओं को स्वीकृति दी है.
5 हजार से ज्यादा की परियोजनाओं को मंजूरी
स्वीकृत केंद्रीय निधियों में से, देश में मात्स्यिकी और मछुआरों के समग्र विकास के लिए पीएमएमएसवाई के तहत सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों और कार्यान्वयन एजेंसियों को 4670.79 रुपए की राशि जारी की गई है. तमाम राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा दी गई है. सूचना के अनुसार, अब तक पीएमएमएसवाई के तहत 3160.86 करोड़ रुपए की राशि का उपयोग किया गया है. इसके अलावा, एफआईडीएफ के तहत, विभिन्न राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लिए 5801.06 करोड़ रुपए के परिव्यय वाली 136 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं. जिनमें ब्याज अनुदान (इंटरेस्ट सबवेनशन) प्रदान करने के लिए परियोजना लागत 3858.19 करोड़ रुपए तक सीमित है.
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