नई दिल्ली. देश में बकरी पालन का व्यापार अब काफी तेजी के साथ बढ़ रहा है. गेहूं, बाजरा, सरसों की फसल करने वाले किसान अब आसानी से बकरी पालन कर रहे हैं. दूसरे मवेशी की अपेक्षा में बकरी पालन में नुकसान की आशंका कम होती है. अच्छी नस्ल की बकरियों का चयन करने पर आप भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. अगर आप भी बकरी पालन की प्लानिंग कर रहे हैं तो आइये जानते हैं कौन सी बकरियों की नस्ल ऐसी हैं, जो आपके बिजनेस में मोटी कमाई देगी.
अगर बकरी की अच्छी नस्लों का चुनाव कर बकरी पालन शुरू किया जाए तो प्रोफिट और बढ़ सकता है. बकरियों की कई नस्लें हैं जिनका पालन किसान या कारोबारी करते हैं, लेकिन बकरी पालन एक्सपर्ट की राय है कि बकरी की ब्रीड का चयन जगह के हिसाब से ही करना सही है. अगर आप यूपी के रहने वाले हैं, तो वहां के मौसम और वातावरण के हिसाब से ही नस्लों का चयन करें. अगर उत्तराखंड के रहने वाले हैं तो वहां की प्रजातियों का चयन करें.
बकरियों की अच्छी नस्लें
जमुनापारी: यूपी के मथुरा, एटा, इटावा और उसके आसपास के इलाकों में बकरी की ये नस्ल मिलती है. इस नस्ल की बकरी दूध और मांस दोनों के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. लंबे कान वाली ये बकरी दो से 2.5 ढाई लीटर दूध रोजाना देती है. इसे बकरी की सबसे अच्छी नस्ल कहा जाता है.
बीटल बकरी: इस नस्ल की बकरियां पंजाब, फिरोजपुर के आसपास मिलती हैं. इस नस्ल की बकरियों को दूध और मीट दोनों के पाला जाता है. ये 12 से 18 महीने के बीच पहली बार बच्चे को जन्म देती है. इनकी नस्ल बेहद प्रचलित है.
बरबरी बकरी: यूपी में पाई जाने वाली बकरी के ये नस्ल फिरोजाबाद, अलीगढ़, एटा और आगरा जैसे जिलों में मिलती है. इसका पालन मीट के लिए किया जाता है. नली की तरह कान लिए इस नस्ल का पालन दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों के लिए अच्छी मानी जाती है.
सिरोही बकरी: राजस्थान के सिरोही, अजमेर, बांसवाड़ा, राजसमंद और उदयपुर के क्षेत्रों में सिरोही बकरी का पालन बड़े पैमाने पर होता है. ये नस्ल दूध और मीट दोनों के लिए काम आती है. ये बकरी डेढ़ से दो साल के बीच पहलीबार बच्चा पैदा करती है.
ओस्मानाबादी: ये बकरियां मीट के लिए ही पाली जाती हैं. महाराष्ट्र, अहमदनगर और सोलापुर जैसे जिलों में इस नस्ल का पालन होता है. काले रंग ये बकरी साल में दो बार बच्चे देती है. इनके मीट की बहुत मांग है.
ब्लैक बंगाल: इस नस्ल की बकरी का पालन मीट के लिए किया जाता है. झारखंड, असम, मेघालय, दक्षिण और पश्चिमी बंगाल, बिहार और त्रिपुरा में इसको पाला जाता है. इस बकरी की खासियत होती है कि इसके पैर छोटे होते हैं और रंग काला होता है.
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