नई दिल्ली. पोल्ट्री कारोबार में अगर अच्छा प्रदर्शन करना है तो पोल्ट्री बर्ड का ख्याल अच्छे ढंग से रखना होगा. पोल्ट्री फार्म में बनावट से लेकर पोल्ट्री फार्म में लोगों की आवाजाही और वाहनों के प्रवेश सभी चीजों पर ध्यान देना होगा. तभी पोल्ट्री फार्मिंग को बेहतर ढंग से किया जा सकता है, नहीं तो नुकसान हो जाएगा. पोल्ट्री फार्मिंग में बर्ड की सेहत और प्रोडक्शन भी कहीं न कहीं इन्हीं बातों से जुड़ा हुआ है. आइए जानते हैं कि पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों का किस तरह से ख्याल रखना चाहिए और किन—किन सावधनियों को बरतना चाहिए, जिससे पोल्ट्री फार्मिंग करने पर सिर्फ और सिर्फ फायदा हो, नुकसान की गुजंजाइश न हो.
एक्सपर्ट का कहना है कि पोल्ट्री फार्म की बनावट इस तरह से बनाई जानी चाहिए, जिसमें केवल एक प्रवेश द्वार एवं एक ही निकास द्वार हो. मजदूरों और फार्म में कार्य करने वाले अन्य कर्मचारियों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सड़क को नियमित रूप से साफ और कीटाणुरहित किया जाना चाहिए.
यहां पढ़ें अहम बातें
बता दें कि फार्म के प्रवेश द्वार पर ही फुटबाथ की उचित व्यवस्था होनी चाहिए जिससे प्रवेश करने वाले व्यक्तियों व वाहनों का द्वार पर ही विसंक्रमण किया जा सके.
फुटबाथ की लम्बाई व चौडाई 12 फिट होनी चाहिए तथा गहराई 6 इंच होनी चाहिए ताकि कीटाणु को खत्म करने वाला घोल का लेवल कम से कम 4 इंच बना रहे.
फुटबाथ के पानी में प्रभावी कीटाणुनाशक का उपयोग किया जाना चाहिए, जिसके लिए पानी में फिनायल को 5 प्रतिशत के हिसाब से मिलाया जा सकता है.
फुट बाथ में कीटाणुनाशक को नियमित रूप से यातायात और कीटाणुनाशक की स्थिरता के अनुसार बदलते रहना चाहिये.
फार्म के प्रवेश द्वार पर फुट बाथ के बराबर पगडंडी बनानी चाहिए तथा पगडंडी पर जूट से बने दाने के खाली बैग बिछा देने चाहिए, जिसको फिनायल के पानी का घोल बनाकर रोगाणुनाशन करना चाहिए.
शेड को खुला नही छोड़ा जाना चाहिये और इसे फार्म के संचालन के अलावा हर समय बंद रखा जाना चाहिये.
प्रत्येक फार्म के प्रवेश द्वार पर फुटवियर, फुट-डिप और हाथ धोने के लिये अलग से सुविधाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए.
फार्म में इस्तेमाल सभी सामग्रियों की उचित साफ-सफाई एवं कीटाणुशोधन सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
सभी दवाओं, टीकों, अन्य सभी सामग्रियों आदि की सफाई तय की जानी चाहिए और उन्हें एक विशिष्ट भंडारण कक्ष में 10 दिनों के क्वारंटाईन अवधि में भण्डार कर रखा जाना चाहिए.
बीमारी की रोकथाम के लिए अधिक आबादी वाले शेड में रोगाणुनाशक घोल का छिडकाव (फॉगिंग) नियमित रूप से किया जाना चाहिए.
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