नई दिल्ली. क्या आपको पता है की मछली पालन बिना खेत तालाब और बड़ी जमीन के भी किया जा सकता है. दरअसल आप छत पर कम जगह पर, किराए की जगह, यह शहरी इलाकों में आसानी से कहीं भी मछली पालन कर सकते हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं, सीमेंट टैंक और बायोफ्लॉक सिस्टम की. आपको बता दें कि इन दोनों तरीके से भी मछली पालन किया जा सकता है और इससे अच्छा खासा मुनाफा भी कमाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश मत्स्य पालन विभाग (Uttar Pradesh Fisheries Department) की मानें तो यह तरीका मछली पालन के लिए एक अच्छा तरीका है. जिससे मुनाफा कमाया जा सकता है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली पालन में बायोफ्लाक और सीमेंट टैंक में रखकर मछलियों पाला जा सकता है. हालांकि इसके बारे में जानकारी होना बेहद ही जरूरी है. आइए जानते हैं दोनों तकनीक में फर्क क्या है.
बायोफ्लाक सिस्टम क्या है
मछली पालन में बायोफ्लाक सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें मछलियों के वेस्ट से ही उनका खाना बनता है.
यह एक ऐसा तरीका है, जिसमें पानी में मौजूद बैक्टीरिया वेस्ट को प्रोटीन में बदल देते हैं. जिससे मछलियों को एक्स्ट्रा फीड देने की जरूरत नहीं होती.
इस सिस्टम में आमतौर पर मोटे प्लास्टिक टैंक का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं सिस्टम में एक ऐसा सिस्टम लगाया जाता है, जिससे पानी में लगातार ऑक्सीजन की मात्रा बनी रहे.
सीमेंट के टैंक के बारे में जानें
वही सीमेंट टैंक एक पारंपरिक और पुराना तरीका है. जिसमें सीमेंट स्थाई रहता है.
इसमें पानी की सफाई खुद सही करना पड़ता है. यानी आपको अपने हाथ से ही इसकी सफाई करनी होगी.
वहीं अगर सिस्टम में बदलाव करने की जरूरत पड़े तो उसे तोड़ना या दोबारा बनाना मुश्किल हो जाता है.
यानी बायोफ्लेक्स सिस्टम सीमेंट टैंक सिस्टम के मुकाबले ज्यादा लचीला होता है.
जबकि बायोफ्लाक सिस्टम को आप आसानी से दूसरी जगह ले जा सकते हैं और फिक्स कर सकते हैं.
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