नई दिल्ली. मछली पालन का परंपरागत तरीका तालाब में मछली पालन करना है. ज्यादातर मछली पालक तालाब में मछली पालन करते हैं लेकिन बदलते वक्त के साथ केज में मछली पालन का क्रेज बढ़ा है. इसलिए इसके बारे में जानना भी बेहद ही जरूरी है कि इसका प्रबंधन कैसे किया जाए. केज में कौन सही प्रजातियों की मछलियां पाली जा सकती हैं और इस तरह की फार्मिंग कितने फेज में की जा सकती है, बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (Department of Animal and Fisheries Resources) ने इसके बारे में अहम जानकारी साझा की है.
अगर आप भी केज सिस्टम से मछली पालन करना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए है. क्योंकि लाइव स्टक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) आपको तमाम अहम जानकारियां यहां बता रहा है.
केज मछली पालन का मैनेजमेंट
केज में जल की गुणवत्ता की जांच बराबर करते रहना चाहिए. खासतौर पर पानी में घुलित आक्सीजन, पीएच, अमोनिया इत्यादि की जांच करना जरूरी है.
हर 15 दिन में एक बार ब्रश से जाल को साफ करना चाहिए ताकि इसमें काई इत्यादि का जमाव न हो. अगर कोई मरी हुई मछली हो तो उसे हटा दिया जाना चाहिए.
जाल के धागे एवं मेस की जांच बीच-बीच में करनी चाहिए. अगर कोई मेस लूज हो या कट गया हो तो उसकी मरम्मत कर लेना चाहिए.
मछलियों के स्वास्थ्य का निरीक्षण लगातार करना चाहिए. अगर कहीं संक्रमण, घाव इत्यादि दिखे तो उसका तुरंत उपचार करना चाहिए.
नियमित रूप से मछलियों की वृद्धि की जांच कर पूरक आहार की मांग को संतुलित करनी चाहिए.
केज पालन के लिए कौन सही मछलियां सही हैं
केज के लिए उन मछलियों को चुने जिनकी ग्रोथ दर तेज हो. बाजार में अधिक मांग हो.
ऐसी मछलियां पालें जो पूरक आहार को आसानी से खाती हों, तभी फायदा होगा.
उन मछलियों को पालें जिनकी रोग निरोधक क्षमता अच्छी हो, ताकि वो बीमार न पड़ें
वो मछलियां पालना सही है जो ज्यादा घनत्व में रहने में सक्षम हों.
केज मत्स्य पालन के फेज क्या हैं
केज स्थापित किये जाने योग्य स्थान का चुनाव.
केज के प्रकार (संरचना) का चयन.
केज निर्माण सामग्री की व्यवस्था.
केज की स्थापना.
संचयन की जाने वाली मत्स्य प्रजातियों का चुनाव.
मत्स्य बीजों का संचयन, पूरक आहार.
केज कल्चर का प्रबन्धन.
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