Home डेयरी Heat Wave: पशुओं को लू से बचाने के लिए अपनाएं ये देसी तरीके, चढ़ते तापमान में काम आएंगे ये टिप्स
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Heat Wave: पशुओं को लू से बचाने के लिए अपनाएं ये देसी तरीके, चढ़ते तापमान में काम आएंगे ये टिप्स

पशु को पानी से भरे गड्ढे में रखना चाहिए या पूरे शरीर को ठंडा पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए. शरीर के तापमान को कम करने वाली औषधि का प्रयोग भी कर सकते हैं.
पानी में खड़ी भैंसों की तस्वीर.

नई दिल्ली. मौसम गर्म हो चुका है. अप्रैल के महीने में ही मई और जून की गर्मी पड़ रही है. मौसम विभाग ने देश के कई राज्यों में लू का अलर्ट जारी किया गया है. मौसम विभाग ने संभावना जताई है कि कुछ राज्यों में तापमान 48 डिग्री से पार जा सकता है. पशुपालन में पशुओं की सेहत बहुत जरूरी होती है. उन्हें गर्मियों में बचाना बहुत जरूरी होता है, जिससे दूध के उत्पादन पर असर न पड़े. गर्म हवाओं से पशु बीमार पड़ सकते हैं. इन्हें लू लग सकती है. पशुओं में भीषण गर्मी और लू लगने के क्या लक्षण होते हैं आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए जानकारी दे रहे हैं.

गर्मी के मौसम में जब तापमान अधिक हो जाता है, ऐसी स्थिति में पशु को उच्च तापमान पर ज्यादा देर तक रखने से या गर्म हवा के झोंकों के संपर्क में आने से लू लगने का बहुत खतरा रहता है. इसे हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक भी कहते हैं. इंसान ही नहीं, गर्म हवाएं पशुओं के लिए काफी नुकसानदायक होती हैं.

देसी तरीकों से बचाए अपने पशु: कुछ देसी तरीकों का प्रयोग करके हम पशुओं को हीट स्ट्रोक से बचा सकते है. पशुओं को पुदीना का प्याज का अर्क भी बना कर दे सकते हैं. ये हीट स्ट्रोक या हीट स्ट्रेस में बहुत फायदेमंद होता है. ठंडे पानी में तैयार किए हुए चीनी, भुने हुए जौ का आटा व थोड़ा नमक का घोल बराबर पिलाते रहना चाहिए. पशु को पानी से भरे गड्ढे में रखना चाहिए या पूरे शरीर को ठंडा पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए. शरीर के तापमान को कम करने वाली औषधि का प्रयोग भी कर सकते हैं. शरीर में पानी एवं लवणों की कमी को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रोलाइट थेरेपी का प्रयोग किया जाता है, वह भी आप इसमें इस्तेमाल कर सकते हैं. दुधारू पशुओं के खाने में गर्मी के समय में बदलाव करते रहें. अप्रैल के महीने में उन्हें सरसों का तेल जरूर पिलाएं. अगर पशु हीट पर है तो उसकी मात्रा या पशुचिकित्सक की सलाह जरूर लें.

ये हैं लू लगने के प्रमुख लक्षणः पशुओं में लू लगने के जो लक्षण है उनमें प्रमुख रूप से मुंह खोलकर पशु का जोर-जोर से सांस लेना, हांफना और मुंह से लार का गिराना. इस स्थिति में पशुओं में भूख कम लगती है. पानी का अधिक पीना और पेशाब कम होना या बंद हो जाना ये लक्षण प्रमुख होता है. पशुओं में धड़कन तेज हो जाती है. कभी-कभी अफरा की शिकायत भी होने लगती है.

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