नई दिल्ली. लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा गौ सेवा आयोग, पशुपालन एवं डेयरी विभाग हरियाणा एवं हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से “भ्रूण ट्रांसफर टेक्नोलॉजी व इन विट्रो फर्टीलिजेशन की ताजा स्थिति को लेकर एक कार्यशाला और विचार मंथन का आयोजन किया गया. ये वर्कशॉप पंचकुला के पीडब्लूडी रेस्ट हाउस के सभागार में आयोजित हुई और इसमें बहुत ही अहम जानकारी निकलकर सामने आई है. बताया गया कि किस तरह से लुवास विश्वविद्यालय गउओं की नस्ल सुधार के लिए बहुत ही सार्थक कदम उठा रहा है. कैसे सकड़ों पर घूम रही गउ से अच्छी नस्ल तैयार की जा रही है.
लुवास कुलपति प्रो. डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने कहा कि लुवास विश्वविद्यालय द्वारा गउओं की नस्ल सुधार के लिए सार्थक कदम उठाये जा रहे हैं. इस कार्य हेतु लुवास विश्वविद्यालय में भ्रूण प्रत्यारोपण की एक उत्त्तम, पूरी तरह से इस कार्य को समर्पित आधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की जा चूकी है. जहां पर अंतराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं उपलब्ध हैं. इस प्रयोगशाला में लुवास के होनहार वैज्ञानिकों की एक टीम, हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री निर्देशानुसार हरियाणा प्रदेश के पशुओं में नस्ल सुधार के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.
तेजी से चल रहा है गउओं में नस्ल सुधार का काम
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री का विचार है कि हरियाणा का पशुधन विशेषकर गउओं की हरियाणा एवं साहिवाल नस्ल के बेहद उन्नत नस्ल के पशु उपलब्ध हैं. जिनका इस्तेमाल अन्य देसी गउओं के नस्ल सुधार में किया जा सकता है जो कि हमारे प्रदेश की आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं. कुलपति महोदय ने समारोह में उपस्थित गो सेवा आयोग के सदस्यों, गौशाला संचालकों एवं किसान भाइयों के प्रयत्नों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन लोगों की सुधारशील सोच एवं प्रयत्नों के कारण गउओं में नस्ल सुधार का कार्य प्रगति पर है. उन्होंने कहा कि लुवास विश्वविद्यालय किसानों की सेवा के लिए हमेशा तत्पर है तथा किसान भाई कभी भी विश्वविद्यालय में आकर यहाँ चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं.
नस्ल सुधार के कार्यक्रम में भूमिका है अहम
इस अवसर पर हरियाणा गौसेवा आयोग के चैयरमैन श्रवण गर्ग ने कहा कि गौसेवा आयोग का लक्ष्य गौमाता की उन्नति एवं नस्ल सुधार के लिए हर संभव प्रयास करना है. इस कार्य के लिए आयोग द्वारा समय-समय पर वैज्ञानिक कार्यक्रम एवं गौशालों के लिए हर संभव मदद दी जाती है. उन्होंने बताया कि आज के समय में अच्छी नस्ल की गउओं को यह सोच कर सड़कों पर छोड़ दिया जाता है कि ये गऊ इस समय या तो दूध नही देगी या बहुत कम दूध दे रही है. परन्तु सड़क पर घूम रही ये गौमाता, नस्ल सुधार के कार्यक्रम में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है, जैसे की भ्रूणप्रत्यारोपण विधि से इन गउओ से अच्छी नस्ल के पैदा कियें जा सकते हैं.
आर्थिक रूप से भी होगा फायदा
कहा कि आज के समय में वैज्ञानिक सोच की जरूरत है और इस दिशा में लुवास विश्वविद्यालय द्वारा कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा के नेतृत्व में सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने आगे बताया कि गौसेवा आयोग द्वारा हरियाणा प्रदेश की गौशालाओं को वित्तीय सहायता दी जा रही है तथा उन्हें उम्मीद है कि आयोग एवं लुवास विश्वविद्यालय के सम्मिलित प्रयासों की बदोलत हरियाणा प्रदेश हमारें भारत देश का ऐसा पहला राज्य होगा. जहां पर कोई भी गौमाता सड़कों पर नहीं घूम रही होगी. इसके अलावा गौशालाओं एवं किसान भाइयों के घरो से नस्ल सुधार द्वारा एवं अन्य उपयोगी उत्पादों द्वारा महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान देगी.
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