नई दिल्ली. यदि पशुओं दूध ज्यादा देते हैं तो इसका सीधा फायदा पशु पालकों को होता है. हालांकि पशु पालक यदि कुछ एहतियात बरतें और कुछ जगह अलर्ट हो जाएं तो दूध उत्पादन को बढ़ाना बहुत ही आसान हो जाएगा. जबकि चारे पर खर्च होने वाली लागत को भी आसानी के साथ कम किया जा सकता है. जबकि समय-समय पर एक्सपर्ट इसके लिए टिप्स भी देते रहते हैं. जरूरी ये है कि इन सलाह पर अमल किया जाए. एक्सपर्ट कहते हैं कि दूध देने वाले पशुओं में बांझपन बड़ी समस्या है और ये समस्या बहुत बड़े लेवल पर है. आंकड़ों के मुताबिक देशभर के करीब 30 फीसद दुधारू पशुओं में बाझंपन की परेशानी है लेकिन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर बांझपन की बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है.
एक्सपर्ट ने इलाज सस्ता करने पर दिया जोर
गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के पशु चिकित्सा स्त्री रोग और प्रसूति विभाग ने इसको लेकर एक कार्यक्रम भी किया था. जहां देशभर के एक्सपर्ट बुलाए गए थे. ताकि दुधारू पशुओं में बांझपन की समस्या को खत्म करने पर रायशुमारी की गई. कार्यक्रम में किसान को गाय-भैंस से बच्चे के साथ-साथ वक्त से दूध मिल सके. इसपर कई टिप्स उन्हें दिए गए. साथ ही बांझपन से जुड़ा इलाज और जागरुकता को लेकर चर्चा हुई. इस दौरान गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना में देशभर के 25 साइंटिस्ट ने गाय भैंस के बांझपन के इलाज को सस्ता बनाने पर जोर दिया. इस बात पर चर्चा हुई कि इलाज का असर दूध पर न पड़े. पशु का चारा कैसा हो, इसके अलावा पशुओं से जुड़ी और भी चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है.
बांझपन की सबसे बड़ी दवा ये है
सेंटर ऑफ एडवांस फैकल्टी ट्रेनिंग (सीएएफटी) के निदेशक डॉ. मृगांक होनपरखे ने बताया कि एडवांस्ड इनसाइट्स ऑन थेरियोजेनोलॉजी टू अमेलियोरेट रिप्रोडक्टिव हेल्थ ऑफ डोमेस्टिक एनिमल्स” जैसे विषय पर कार्यक्रम किए जाते हैं. किसानों को बताया जाता है कि उन्हें किन बातों का ध्यान रखना है. किसानों को ये बताया जाता है कि अगर किसान चाहते हैं कि पशुओं में बांझपन की समस्या न हो तो उन्हें सबसे पहला काम यह करना होगा. बांझपन का इलाज कराने में देरी न करें. क्योंकि बांझपन जितना पुराना होता चला जाएगा उसके इलाज में उतनी ही दिक्कतें आएंगी. इसलिए सही समय पर पशुओं की जांच कराना बहुत जरूरी होता है. भैंस दो से ढाई साल में हीट पर नहीं आती तो ज्यादा से ज्यादा दो से तीन महीने ही इंतजार करें. इसके बाद भी हीट पर न आए तो तत्काल पशु की जांच करानी चाहिए. यही नियम गाय के साथ भी लागू होगा. एक्सपर्ट कहते हैं कि गाय डेढ़ साल में हीट पर न आए तो उसे भी दो-तीन महीने इंतजार के बाद डॉक्टर से सलाह लें.
दोबारा गाभिन कराने में न करें देर
डॉ. मृगांक कहते हैं कि एक बार बच्चा देने के बाद भी बांझपन की शिकायत होना आम बात है. इसलिए अगर गाय-भैंस एक बार बच्चा दे दे तो फिर उसे दोबारा गाभिन कराने में देरी नहीं करनी चाहिए. आमतौर पर पहली ब्याहत के बाद दो महीने का अंतर रखा जाता है. लेकिन इस अंतर को ज्यादा नहीं रखना चाहिए. अंतर जितना ज्यादा रखा जाएगा बांझपन की परेशानी बढ़ने की संभावना उतनी ही ज्यादा हो जाएगी.
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