नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में पशुओं की सेहत का ख्याल रखने के लिए पशु चिकित्सा परिषद कार्यालय बना हुआ है. ताकि पशुओं की बीमारियों का समय से इलाज किया जा सके और इससे प्रजनन और उत्पादन में सुधार किया जा सके. गौरतलब है कि कृषि के साथ-साथ पशुपालन का कार्य ग्रामीण इलाकों में एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकि प्रति व्यक्ति कम कृषि जोत भूमि होने के कारण गावों में आजीविका और आर्थिक उन्नति के लिए पशुपालन एक प्रमुख जरिया है. तमााम पशुधन विकास कार्यक्रमों को संचालन में पशुचिकित्सा और पशु स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है.
पशुओं को पूरी तरह स्वस्थ रखने और गुणवत्ता के साथ पशु से मिलने वाले उत्पादों की लगातार जरूरत है. वहीं कई कारणों से पशु चिकित्सा और पशु स्वास्थ्य का महत्व खुद ही बढ़ गया है.
क्या है पशु चिकित्सा परिषद का मकसद
- प्रदेश के पशुओं को चिकित्सा सुविधा और स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाएं उपलब्ध कराना.
- पशुओं में फैलने बाली संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए टीकाकरण कार्य कोल लगातार करने रहना.
- अनियन्त्रित पशु प्रजनन को रोकने और कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा दिये जाने के लिए अनुपयोगी नर पशुओं का बधियाकरण करना .
- प्रदेश में स्थापित पशुचिकित्सा पाली क्लीनिक के माध्यम से गुणवत्तायुक्त विशेषज्ञ पशु चिकित्सा सेवाओं को उपलब्ध कराना.
- तमाम जिलों में स्थापित रोग निदान प्रयोगशालाओं के माध्यम से पशुओं में उत्पन्न होने वाली बीमारियों के इलाज, रोगों की जांच, पैथालोजी की सुविधा उपलब्ध कराना.
- पशुओं से इंसानों में फैलने वाली रैबीज जैसी जानलेवा बीमारियों पर नियंत्रण करना.
- प्रदेश में होने वाली प्रमुख बीमारियों को भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये प्रारूप पर सर्वे का कार्य किया जाना.
- “रिण्डरपेस्ट” जैसी खतरनाक बीमारी का फिर प्रकोप न होने के उद्देश्य से रूट सर्च एवं बिलेज सर्च का कार्य करना.
- पशुरोग नियंत्रण की योजना (60 प्रतिशत केपो) के तहत राष्ट्रीय महत्ता के तमाम रोगों पर नियंत्रण किया जाना.
- स्टर्लिटी इन्फर्टीलिटी बीमारियों पर नियंत्रण करना.
- रोगों के रोकथाम के लिए प्रमुख वैक्सीनों का उत्पादन, जैविक दवाओं उत्पादन संस्थान द्वारा किये जाने के लिए जरूरी काम किए जा रहे हैं.
- भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित (अनावर्ती 100 प्रतिशत एवं आवर्ती 60 प्रतिशत) ईएसथी एचडी योजना तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 प्रदेश में 520-मोबाईल वेटेरिनरी यूनिट की स्थापना कर पशुपालकों के द्वार पर पशुचिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है.
- प्रदेश में लम्पी स्किन डिजीज (एल.एस.डी.) बीमारी की रोकथाम और कंट्रोल करने के लिए काम किए जा रहे हैं. जिसके सापेक्ष बीमारी की रोकथाम में सकारात्मक परिणाम हासिल हो रहें है.
- बहुउद्देशीय सचल पशुचिकित्सा सेवाओं के तहत वुन्देलखण्ड के समस्त विकासखण्डीय पशुचिकित्सालयों पर 47 सचल वाहन उपलब्ध कराये गये हैं. इन वाहनों के माध्यम से पशुपालको के द्वार पर पशुचिकित्सा एवं पशु विकास सम्बन्धी विविध सुविधाओं को उपलब्ध कराया जा रहा है.
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