नई दिल्ली. पशु पालन करने वाले हर किसान की इच्छा होती है कि उसकी भैंस हर साल बच्चा दे, जिससे उसे लगातार दूध मिलता रहे लेकिन किसान इस समस्या से दुखी रहते हैं कि उसकी भैंस डेढ़ से 2 साल में एक बार बच्चा देती है. जबकि किसानों के लिए वही भैंस ज्यादा फायदेमंद हो सकती है जो हर साल, 12 या 14 महीने पर बच्चा देती हो. ऐसा होने पर उस भैंस से हमें दूध भी ज्यादा मिलता है और ज्यादा बच्चे भी मिलते हैं. इसके विपरीत जो भैंस डेढ़ से 2 साल के अंतराल पर बच्चा देती है, वह अपने जीवन काल में दूध भी काम देती है और बच्चे भी काम देती है. इस वजह से किसानों को कम फायदा होता है और उन्हें भैंस को औने-पौने दाम पर बेचना भी पड़ जाता है.
ये वक्त ज्यादा अहमियत रखता है
केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार के डॉ. आरके शर्मा कहते हैं कि ब्यांत अंतराल दो समय से मिलकर बना होता है. पहला ब्यांत से 11 महीने का समय और 11 महीने से बच्चा देने समय जिसे गर्भकाल कहा जाता है. इसे हम कम ज्यादा नहीं कर सकते हैं. इस वजह से बच्चा देने से गाभिन होने तक का समय सबसे ज्यादा अहमियत रखता है. इसी को कंट्रोल करके हम हर साल बच्चा ले सकते हैं. वहीं भैंस हर साल बच्चा दे सकती है. जो ब्यांत आने के बाद 60 दिन के अंदर गाभिन हो जाए. यदि ब्यांत के 100 दिन बाद भैंस गाभिन होती है तो अगला बच्चा 400 दिन के अंदर मिलेगा. 200 दिनपर होती है 500 दिन के अंतराल पर बच्चा मिलेगा. 300 दिन पर गाभिन होती तो अगला बच्चा 600 दिन के अंतर पर मिलेगा.
तभी ले सकते हैं हर साल बच्चा
बच्चा देने के बाद 33 से 40 दिन के अंदर भैंस की बच्चेदानी अपनी ठीक जगह आ जाती है. भैंस हर 21 दिन पर गर्मी में आ जाती है. भैंस के गर्मी में आने के 45 से 50 दिन के बाद जब भी लगे भैंस गर्मी में है तो गाभिन करने का प्रोसेस करना चाहिए. ऐसा करने से हम हर साल बच्चा ले सकते हैं. कई बार ब्यांत के बाद भैंस का गर्मी में नहीं आना या गर्मी के लक्षणों का हल्का होने से भी इसका पता ही नहीं चल पाता है कि भैंस गर्मी में है. इसलिए हमें इसका ध्यान देना चाहिए. वहीं भैंस की चराई अच्छी करानी चाहिए.
डॉक्टर से कराना चाहिए इलाज
दूध उत्पादन के लिए संतुलित दाना दिया जाना बहुत जरूरी है. दो किलो दूध पर एक किलो दाना दिया जाए. वहीं खनिज लवण मिश्रण दिया जाए. नियमित रूप से कम से कम 70 ग्राम रोजाना खिलाया जाए. भैंस को आरामदायक जगह पर बांधा जाए. गर्मी में नदी और तालाब में नहलाने की व्यवस्था की जाए. भैंस के ब्यांत के बाद भी वो 90 दिन तक गर्मी में नहीं आती है तो डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए. उसका इलाज करवाना चाहिए एक दिन भी ब्यांत का अंतर बढ़ने 100 रुपये प्रति भैंस प्रतिदिन के हिसाब से खर्च बढ़ जाता है.
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