नई दिल्ली. जिस तरह से सर्दियों में हम अपना ध्यान रखते हैं, घर के तमाम सदस्यों का ध्यान रखते हैं, इसह तरह से पशुओं का भी ध्यान रखना चाहिए. खासतौर पर जो पशु दूध दे रहे हैं. गाय हो या भैंस अगर वह दूध दे रही है और छोटे बच्चे हैं तो उनका ध्यान रखना होता है. पिछले कुछ समय में मौसम ने करवट ली है. पहाड़ों पर बर्फबारी देर से हुई है. जबकि मैदानी इलाकों में इसकी वजह से ठंडी हवाएं चल रही हैं. अभी दिन के वक्त में भले ही धूप निकलने से राहत है लेकिन रात में मौसम ठंडा हो जाता है. ऐसे में पशुओं का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. इसलिए पशुओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.
रहन-सहन का प्रबंधन कैसे करें
दुवासु, मथुरा, के पूर्व कुलपति डॉ. कृष्ण मुरारी लाल पाठक सलाह देते हुए कहते हैं कि दुधारू और गाभिन पशुओं को ठंड से बचाना चाहिए. हम खुद कपड़े पहन लेते हैं और बच्चों कपड़े पहना देते हैं लेकिन पशुओं को कपड़े नहीं पहनाया जा सकता है, इसके लिए दूसरी व्यवस्था करनी होती है. ताकि पशुओं को ठंड से बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि ठंड में पशुओं के रहन-सहन प्रबंधन की बात करें तो ठंड से पशुओं को बचाने के लिए पशुओं के बिछौना की मोटाई 4 से 6 इंच रखना चाहिए.
बाड़े के दिन में दो बार सफाई करें
खिड़कियों पर बोरी तट के पर्दे लगाना चाहिए. ऐसा करने से पशुओं पर ठंडी हवाओं का सीधा असर नहीं होता है. धूप निकलने पर पशुओं को बाहर निकालें और दिन गर्म होने पर नहलाकर सरसों के तेल की मालिश करें. जिससे पशुओं को खुश्की से बचाया जा सकता है. सर्दी में पशुओं को सुबह 9:00 से पहले और शाम 5:00 बजे के बाद पशुशाला से बाहर नहीं निकलना चाहिए. दिन में दो बार पशुओं के बाड़े की सफाई करनी चाहिए. पशुशाला में गोबर और मूत्र निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि वहां पर पानी न जमा हो सके.
ठंड में संतुलित आहार दें
ठंड में पशुओं के आहार प्रबंधन की बात करें तो पशुओं को संतुलित आहार दें. जिसमें ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज तत्व, विटामिन और वसा जैसे पोषक तत्व मौजूद हों. दुधारू पशुओं को ज्यादा मात्रा में चारा खिलाना चाहिए. 10 लीटर दूध देने वाले पशुओं के लिए 20 से 25 किलो हरे चारे को 5 किलो से 10 किलो सूखा चारे को साथ में मिलकर दिया जाना चाहिए. इससे अफारा से भी बचाव किया जा सकता है.
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