नई दिल्ली. पशुपालन में सबसे जरूरी कामों में ये है कि पशुओं को कब क्या खिलाया जाए. क्योंकि पशुओं की खुराक से ही उन्हें ताकत मिलती है और फिर इससे वो हैल्दी रहते हैं. दूध का ज्यादा उत्पादन करते हैं. उनसे हासिल होने वाले बच्चे भी हैल्दी रहते हैं. वहीं उनकी देखभाल भी ठीक ढंग से करना चाहिए. अगर ध्यान न रखा जाएगा तो फिर पशुपालन में नुकसान हो सकता है. ब्याने से पहले गाय को धूली और गुड़ खाने को दिया जा सकता है. ब्याने का दर्द आमतौर पर 2 से 6 घंटे तक रहता है और यदि यह दर्द काफी देर रहे तो पशु-चिकित्सक से सलाह ले लेनी चाहिए.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो जिस तरह से पशुओं को ब्याने से पहले खुराक दी जाती है और उनका ख्याल रखा जाता है. उसी तरह से ब्याने के बाद खुराक की जरूरत पड़ती है. अगर ऐसे समय पर संतुलित आहार न दिया जाए तो इससे कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं. वहीं उनकी देखभाल की भी जरूरत पड़ती है.
इस तरह से करें देखभाल
गाय के पिछले हिस्से को नीम या डेटॉल मिले गुनगुने पानी से अच्छी तरह साफ कर दें व जेर गिरने का इन्तजार करें. यदि आठ घंटे पूरे हो जाने पर भी जेर नहीं गिरे या बच्चे दानी बाहर आ जाए तो पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें, इस ड्यूरेशन में गाय-भैंस को गुड़ का पानी पिलाएं व सफाई का पूरा ध्यान रखें.
ब्याने के बाद क्या खिलाएं
ब्याते ही गाय-भैंस को तुरंत ताकत देने वाले खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है. इसके लिये गेहूं की चापड़, बाजरा, तेल, गुड़, जौ का दलिया आदि दिया जा सकता है. ब्याने के तुरन्त बाद से दिये जाने वाले दाना मिश्रण व चारे की मात्रा में धीरे-धीरे वृद्धि दूध की मात्रा पर निर्भर करती है. गाय को प्रति 3 किलोग्राम दूध पर 1 किलोग्राम व भैंस को प्रति दो किलोग्राम दूध पर एक किलोग्राम अतिरिक्त दाना मिक्सचर देना चाहिये.
दाना मिश्रण इस तरह करें तैयार
पशु-पालक स्थानीय बाजार में उपलब्ध खाद्य पदार्थों से दाना मिश्रण तैयार करें तो किस अनुपात में करें, आपकी सुविधा के लिये यहां दो दाना मिश्रण बताये जा रहे हैं. मूंगफली की खली 18 प्रतिशत, गेहूं की चापड़ 20 प्रतिशत, दले हुए अनाज 40 प्रतिशत, बिनोले की खली 20 प्रतिशत, लवण मिश्रण 2 प्रतिशत, अनाज 30 प्रतिशत, दालें 15 प्रतिशत, खल 20 प्रतिशत, चापड़ 33 प्रतिशत, लवण मिश्रण, 2 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याने वाली, भरपूर दूध देने वाली गाय-भैंस ही पशुपालक को आर्थिक संबल प्रदान कर सकती है. ऐसा उचित देखभाल व खान-पान व्यवस्था से ही सम्भव हो सकता है.
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