नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में बीमारियों से बचाव के लिए कुछ अहम जानकारियों की जरूर है. इस आर्टिकल में हम आपको उन्हीं के बारे में बताएंगे. एक्सपर्ट के मुताबिक पोल्ट्री फार्म में सफाई और कीटाणुनाशन की प्रक्रिया से ही रोगों से बचाव किया जा सकता है. पोल्ट्री फार्म पर चूजे लाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि जिस हेचरी से चूजे लेने हैं, वहां गत तीन माह के दौरान किसी प्रकार का रोग न हुआ हो. पोल्ट्री फार्म के प्रवेश द्वार पर फुट बाथ हेतु सोडियम हाइड्रोक्साइड का घोल रखें. फार्म के मुख्य प्रवेश द्वार पर वाहन को कीटाणु रहित करने के पश्चात् ही परिसर में प्रवेश करने दिया जाये.
पोल्ट्री फार्म पर आने वाले लोगों के प्रवेश पर कंट्रोल रखें. यदि आना जरूरी हो तो गमबूट, शू-कवर, डिस्पोजेबल कपड़े, मास्क आदि पहना कर व हाथ साबुन से धोने एवं कीटाणु नाशक घोल (लाल दवा, डिटोल, सेवलोन आदि) से कीटाणु रहित करने के पश्चात् प्रवेश करने दिया जाये.
जानवरों को आने से रोकें
पोल्ट्री फार्म में बाहर से आने वाले सामान जैसे अंडे की ट्रे, पिंजरे, अन्य उपकरण आदि को कीटाणु रहित कर उपयोग में लें. पोल्ट्री फार्म परिसर में कुत्ते, बिल्ली व अन्य जंगली जानवर आदि को प्रवेश नहीं करने दिया जाए. मुर्गियों को प्रवासी पक्षी, वाटर फाउल, बतख आदि के सम्पर्क में न आने दिया जाए. पोल्ट्री फार्म परिसर में खरपतवार की सफाई करावें व चूहों की रोकथाम के उपाय करें. पोल्ट्री फार्म में मृत पक्षियों, संक्रमित लिटर, खराब अण्डे आदि के निस्तारण हेतु डिस्पोजल पिट् बनाकर निस्तारित करें अथवा जलाकर या गहरे गढ्ढे में कीटाणुनाशक दवा/चूने के साथ गाड़ कर नष्ट कर दिया जाना चाहिए.
पूरी तरह से कीटाणु को साफ करें
रोगग्रस्त क्षेत्रों में मुर्गी पालन हेतु ऑल इन ऑल आऊट पद्धति अपना कर फार्म को पूरी तरह से कीटाणु रहित करना चाहिये. इसमें फार्म के सभी पक्षियों को एक साथ विक्रय/निस्तारित करने के तीन सप्ताह बाद नया बैच लाना चाहिये. पहले हफ्ते में पोल्ट्री फार्म का पुराना लिटर (बिछावन) बाहर निकाल कर फर्श अच्छी तरह से पानी एवं साबुन (डिटरजेंट) के घोल से साफ करना चाहिये. फर्श एवं दीवारों से बर्बीट आदि रगड़ कर अच्छी तरह साफ करना चाहिये.
इस तरह करें सफाई
दूसरे हफ्ते में दीवारों एवं फर्श पर कीटाणु नाशक (क्वाटरनरी अमोनियम साल्ट के 4 फीसदी क्रिसोलिक एसिड के 2.2 परसेंट सिन्थेटिक फिनोल के 2 परसेंट घोल का छिड़काव करें. सभी दाने-पानी के बरतन व अन्य उपकरणों को भी साफ कर कीटाणु रहित करें व धूप में रखें. तीसरे सप्ताह में दीवारों व छत पर चूने के घोल से सफेदी करनी चाहिये. पोल्ट्री फार्म को चारों तरफ से बन्द कर फ्यूमिगेशन करना चाहिए. 60-70 ग्राम पोटशियम परमेंगनेट (लाल दवा) में 120-150 मिलि लीटर फार्मेलिन मिलाकर प्रति 100 घन फीट क्षेत्र के लिये उपयोग करते हैं.
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