नई दिल्ली. बीमारियां डेयरी पशुओं को बेहद ही परेशान करती हैं. इससे उनका उत्पादन कम हो जाता है. डेयरी पशुओं की तमाम बीमारियों में से एक बीमारी खुरपका और मुंहपका भी है. यह पशुओं में मुंह और खुरों में छाले की वजह बनती है. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (Department of Animal and Fishery Resources) की मानें तो ज्यादा लार आना और लंगड़ापन जैसे लक्षण, इस बीमारी में दिखाई देते हैं. जिससे पशु खाना पीना बंद कर देते हैं और दूध उत्पादन भी उनका कम हो जाता है. ये बीमारी बछड़ों में होती है तो उनकी मौत भी हो जाती है. क्योंकि यह बीमारी बेहद ही संक्रामक होती है और प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करने में भी इस बीमारी का अहम रोल है.
ऐसे में खुद पकड़ से बचाव बेहद ही जरूरी है, नहीं तो पशुपालन के काम में बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Uttar Pradesh Fisheries Department) को बताया कि खुरपका और मुंहपका बीमारी से किस तरह बचाव किया जा सकता है. आइए इस बारे में जानते हैं कि क्या उपाय किए जा सकते हैं.
बचाव का तरीका क्या है
बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के एक्सपर्ट का कहना है कि खुरपका मुंहपका के लक्षण दिखाई दें तो निकटतम सरकारी पशु चिकित्सा अधिकारी को इसकी सूचना देनी चाहिए.
इसके बाद जो पहले काम करना है वह यह है कि प्रभावित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रख देना चाहिए. ताकि द्वारा पशुओं से स्वस्थ पशु बीमार ना हों.
पशुपालकों को चाहिए कि दूध निकालने से पहले खुद के हाथ और मुंह को अच्छी तरह से धो लें, ताकि उनके जरिए पशुओं को इन्फेक्शन ना हो.
प्रभावित क्षेत्रों को सोडियम कार्बोनेट के घोल या सोडियम हाइड्रोक्साइड से तुरंत ही धोना चाहिए.
अगर पशु के मुंह में छाले पड़ गए हैं तो 2 फीसद फिटकरी और पैर के छालों को कॉपर सल्फेट या फिनायल की गोल से धोना चाहिए.
पैर के छालों पर मलहम या नीम या तुलसी का पत्ता पीसकर लगाना चाहिए.
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