नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग बेहद कम लागत में किया जाने वाला और ज्यादा मुनाफा देने वाला कारोबार है. बहुत से किसान ग्रामीण इलाकों में पोल्ट्री फार्मिंग करके अपनी इनकम को बढ़ा चुके हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि पोल्ट्री फार्मिंग में जितना ज्यादा मुनाफा है, उतना ही ज्यादा खतरा भी है. अगर मुर्गियों की देखरेख सही ढंग से नहीं की जाती है तो फिर पोल्ट्री फार्मर को बहुत नुकसान उठाना पड़ जाता है. इसके चलते फायदा तो दूर की बात है, पोल्ट्री फार्मिंग में लगाई गई पूंजी भी गंवानी पड़ जाती है.
हालांकि ऐसा नहीं है कि पोल्ट्री फार्मिंग में खतरों को कम नहीं किया जा सकता है. इसका एकमात्र इलाज साइंटिफिक आधार पर पोल्ट्री फार्मिंग करना है. आपको बता दें कि इंडियन पोल्ट्री इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (ईपीमा) ने राजस्थान के अजमेर में एक सेमिनार आयोजित किया. जिसमें बहुत से पोल्ट्री फार्मर भी बुलाए गए थे. यहां एक्सपर्ट ने कई अहम जानकारी से पोल्ट्री फार्मर्स को रूबरू कराया. यह सेमिनार पोल्ट्री फार्मर को मुर्गी पालन से जुड़ी हर छोटी बड़ी जानकारी देने के लिए आयोजित किया गया था.
इस तरह करें पोल्ट्री फीड को कम
जिस तरह से पशुपालन में फीड पर तकरीबन 70 फ़ीसदी का खर्च आता है, ठीक इसी तरीके से पोल्ट्री फार्मिंग के भी फीड पर बहुत खर्चा होता है. ईपीमा के प्रेसिडेंट उदय सिंह व्यास ने बताया कि इस सेमिनार में किस तरह से पोल्ट्री फार्मिंग के खर्च को काम किया जाए इसको लेकर एक्सपर्ट ने अपनी राय रखी. बेंगलुरु से आए फीड एक्सपर्ट डॉ. प्राणीत कुमार राणे ने बताया कि डीडीजीएस का इस्तेमाल करे पोल्ट्री फार्मर फीड की लागत को काफी हद तक कम कर सकते हैं. वहीं बाजार में यदि मक्का की कीमत ज्यादा हो तो चावल भी पोल्ट्री फीड के तौर पर बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है. उन्होंने बताया कि इस दौरान कुछ एहतियात बरतने की भी जरूरत होती है. ऐसे में अगर पोल्ट्री फार्मर को इसकी जानकारी नहीं है तो उन्हें एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए.
एंटीबायोटिक्स की जगह आयुर्वेद अपनाए
इस मौके पर डॉक्टर अनूप कालरा ने भी पोल्ट्री फार्मर्स संबोधित किया. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद यानि हर्बल तरीके से पोल्ट्री फार्मिंग में आने वाली बीमारियों को दूर किया जा सकता है. पोल्ट्री के टेक्निकल सेमिनार में बोलते हुए कहा कि इस वक्त एंटी माइक्रोबॉयल रेजिस्टेंट की चर्चा पूरी दुनिया में है. इसको लेकर एक्सपोर्ट के दौरान भी दिक्कतें आती हैं और यह सब एंटीबायोटिक के इस्तेमाल की वजह से ही होता है. इस वक्त एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टेंट को लेकर दुनियाभर में चर्चा हो रही है क्योंकि एक्सपोर्ट में इससे दिक्कतें आ रही हैं, लागत भी बढ़ती है. ये सब एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल की वजह से हो रहा है. उन्होंने एंटीबायोटिक की जगह आयुर्वेद को अपने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि जिस तरह से कोरोना पीरियड में आयुर्वेद ने बहुत से लोगों की इम्यूनिटी बूस्ट की और लोगों की जान बचाई. अगर पोल्ट्री फार्मिंग भी इसका इस्तेमाल होने लगे तो इससे फायदा होगा.
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