नई दिल्ली. विश्व रेबीज दिवस से एक दिन पहले नई दिल्ली में हुए नेशनल वेबिनार में रैबीज को साल 2030 तक देश से खत्म करने और कुत्तों की बढ़ती आबादी समेत इस विषय से जुड़े कई अहम मसलों पर चर्चा हुई. इस दौरान मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने कहा कि देश में कुत्तों से होने वाले रैबीज को नियंत्रित करने और खत्म करने के लिए काम किया जा रहा है. खतरनाक रैबीज वायरस को सभी के सहयोग और सिस्टम में मौजूद रोकथाम और नियंत्रण तकनीकों के इस्तेमाल से रोका जाना चाहिए. सामूहिक कुत्तों के टीकाकरण में शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका का जिक्र करते हुए, वैक्सीनेशन करने और लगातार निगरानी करने पर जोर दिया.
उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि शहरी और स्थानीय निकायों के साथ एक कार्यशाला आयोजित करके एमडीवी रैबीज नियंत्रण करने की जरूरत है. बताते चलें कि इस वेबिनार में पशुपालन आयुक्त डॉ. अभिजीत मित्रा, संयुक्त सचिव (पशुधन स्वास्थ्य) सरिता चौहान, संयुक्त सचिव (जीसी/पीसी/एडमिन) सुपर्णा पचौरी और विभाग के तकनीकी अधिकारियों ने हिस्सा लिया. वहीं देश भर से 1000 से अधिक प्रतिभागी ऑनलाइन वेबिनार में शामिल हुए. जिनमें राज्य पशु चिकित्सा विभागों, पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों, पशु कल्याण बोर्डों और पशु कल्याण एनजीओ के अधिकारी शामिल थे.
इन राज्यों में मिली है कामयाबी
सरिता चौहान ने सभी वर्गों के लोगों, विशेषकर बच्चों और जिम्मेदार पालतू जानवरों के मालिकों के बीच जागरूकता पैदा करने के महत्व के बारे में बात की, साथ ही सभी संबंधित विभागों द्वारा आवारा कुत्तों के टीकाकरण को बढ़ाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि गोवा, केरल और सिक्किम के राज्य पशु चिकित्सा विभागों ने अपने-अपने राज्यों में बीमारी और इसके प्रसार को कामयाबी के साथ कंट्रोल करने के लिए योजनाएं बनाईं हैं और इसपर अमल भी हो रहा है. बताया कि रोग को नियंत्रित स्थिति के नियंत्रण और रखरखाव में इन राज्यों द्वारा अपनाए गए नए तरीके सराहनीय हैं. अन्य सभी राज्यों से अपने राज्यों के लिए सबसे अनुकूल मॉडल को दोहराने की अपील भी की. गतिविधियों में सामूहिक टीकाकरण, नसबंदी और मजबूत जन जागरूकता अभियान शामिल हैं. संयुक्त सचिव ने बताया कि रैबीज निगरानी, कानून और रिपोर्टिंग प्रणालियों को मजबूत करना रैबीज मुक्त स्थिति बनाए रखने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होगा.
कैसे रोकी जाए कुत्तों की आबादी
वहीं डॉ. अभिजीत मित्रा ने दोहराया कि कुत्तों का सामूहिक टीकाकरण और कुत्तों की आबादी पर नियंत्रण रैबीज संक्रमण को नियंत्रित करने, रोकने के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी रैबीज नियंत्रण के लिए एक बड़ी चुनौती है और कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं द्वारा राज्य पशुपालन विभाग के साथ एकजुट प्रयास की जरूरत है. डॉ. सिम्मी तिवारी, संयुक्त निदेशक और प्रमुख, सेंटर फॉर वन हेल्थ, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने भारत के राष्ट्रीय रैबीज नियंत्रण कार्यक्रम पर एक अपडेट प्रस्तुत किया. कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य 2030 तक कुत्तों से होने वाले रेबीज को खत्म करना है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करता है और पड़ोसी देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है. मुख्य रणनीतियों में सामूहिक रूप से कुत्तों का टीकाकरण और एक्सपोजर के बाद प्रोफिलैक्सिस शामिल हैं.
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