नई दिल्ली. बर्ड फ्लू जिसे एविनयन फ्लू भी कहा जाता है. या इन्फ्लूएंजा फ्लू का एक प्रकार है, जो ज्यादातर जंगली पक्षियों को संक्रमित करता है. हालांकि यह घरेलू पश्चिम जैसे मुर्गी और अन्य जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है. यह इनफ्लुएंजा ए टाइप वायरस का स्ट्रेन होता है. वैसे तो यह वायरस सीधे तौर पर इंसानों को प्रभावित नहीं करता लेकिन अगर वह किसी संक्रमित पक्षी का सेवन करते हैं तो एवं इन्फ्लूएंजा के संपर्क में आने का जोखिम बढ़ जाता है.
कई बार यह वायरस हवा में मौजूद है तो भी इंसानों तक पहुंच सकता है. आंख नाक या मुंह के जरिए भी वायरस इंसानों को शरीर में पहुंच सकता है. जबकि किसी संक्रमित जगह छूने पर भी वर्षा खतरा रहता है. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से इसको लेकर जानकारी जारी की गई है.
इंसानों में ऐसे फैलता है संक्रमण
इसके मुताबिक यह वायरस जनित पक्षियों की बीमारी है जो मुख्तता जंगली जारवरों और पक्षियों में स्वाभाविक रूप से होती है. बर्ड फ्लू मुख्तता मुर्गियों को बड़ा संक्रामक रोग है. संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने से यह वायरस इंसानों में भी फैल सकता है. ये एक ऐसा संक्रामक वायरस जनित रोग है, जिसके कारण मुर्गी पालन व्यवसाय को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. इंसानों में खासकर बच्चे अगर बीमार पक्षी की न्यूकस, बीट और पंखों के संपर्क में आ गए तो भी उन्हें संक्रमण फैल सकता है.
तो फिर नहीं होगा नुकसान
अगर इसके सिम्टम्स की बात की जाए तो इंसानों में बर्ड फ्लू के लक्षण साधारण फ्लू से मिलते जुलते हैं. जैसे कि सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार, जुखाम और नाक बहना. ऐसी शिकायत होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेना चाहिए. सामान्य तौर पर बर्ड फ्लू का वायरस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर खत्म हो जाता है. किसी स्थान पर बर्ड फ्लू की पुष्टि होने पर भी अंडे व चिकन 70 डिग्री तापमान पर पकाकर खाने में कोई नुकसान नहीं है. सावधानी की बात की जाए तो बीमार मुर्गियों के सीधे संपर्क में नहीं आना चाहिए.
ये सावधानी बरतना है जरूरी
सावधानी की बात की जाए तो दस्ताने या किसी भी अन्य सुरक्षा साधन का इस्तेमाल करना चाहिए. बीमार पक्षियों को पंख, श्लेष्मा, न्यूकस और बीट को न छुएं. छुए जाने की स्थिति में साबुन से तुरंत अच्छी तरीके से हाथ धोना चाहिए. मुर्गियों को बाड़े में रखें. संक्रमित पक्षियों को मार कर उनका सुरक्षित निपटा कर देना चाहिए. बीमार या मरे हुए पक्षी की सूचना निकटतम पशु चिकित्सालय को तुरंत दें. ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है.
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