नई दिल्ली. देश में कृषि के बाद बड़ी संख्या में किसान पशुपालन कर रहे हैं. ये उनके रोजगार का जरिया बन गया है. सरकार भी पशुपालन के जरिए किसानों की आय दोगुनी करना चाहती है. इसको लेकर सरकार समय-समय पर कदम उठाती रहती है. वहीं केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय पशुधन की खाद्य सुरक्षा को चिंतित है. यही वजह है कि भविष्य में देश में कई चारा बैंक स्थापित करने की योजना है. ताकि पशुधन को चारा की कभी भी कमी न हो सके. वहीं केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में चारा विकास पर राष्ट्रीय संगोष्ठी उद्घाटन करते हुए चिंता व्यक्त किया है कि अब तक चारा प्राथमिकता में नहीं रहा है.
हालांकि उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्राथमिकता है कि राष्ट्र के पशुधन की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. यही वजह हे कि आने वाले समय में देश के सभी चार क्षेत्रों में “चारा बैंक” स्थापित करने की सरकार की योजना है. जो पशुधन की आबादी और स्थानीय चारे का वैज्ञानिक रूप से संज्ञान लेते हुए चारे की आवश्यकता के आधार पर उचित भंडारण सुविधाओं, रसद और परिवहन सुविधाओं उपलब्ध करा सके.
कैबिनेट ने लिया ये फैसला
केंद्रीय मंत्री ने पशु प्रजनन से संबंधित विभिन्न योजनाओं के दायरे में अधिक पशुधन प्रजातियों (जैसे खच्चर, गधा, ऊंट और घोड़े) को शामिल करने के कैबिनेट के फैसले पर भी रौशनी डाली. कहा कि चारा उत्पादन और उससे संबंधित योजनाओं के तहत क्षेत्र को बढ़ाने और जानवरों के प्रकार (दुधारू जानवर, बछिया, सूखे जानवर आदि) और जानवरों की उम्र के आधार पर पोषण संबंधी आवश्यकता के अनुसार चारे की आवश्यकता को मैप करने की जरूरत है.
राज्यों को मिलेगा ईनाम
रूपाला ने चारा विकास के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को पहचानने और सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले राज्य/केंद्रशासित प्रदेश को पुरस्कृत करने पर जोर दिया. उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए अपने भाषण को खत्म किया कि राष्ट्रीय चारा संगोष्ठी से प्राप्त चर्चाएँ आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करेंगी और देश के पशुधन के लिए हस्तक्षेपों को डिजाइन करने का आधार तैयार करेंगी.
भारत की स्थिति और मजबूत हुई
सचिव अलका उपाध्याय ने देश की पशुधन आबादी के प्रति विभाग के दृष्टिकोण पर वहां मौजूद लोगों से कहा कि श्वेत क्रांति के कारण प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में वृद्धि के कारण दुनिया में सबसे बड़े दूध उत्पादक देश के रूप में भारत की स्थिति को संतुलित किया. इसके बाद उन्होंने इस बाधक तथ्य के कारण उत्पादन और उत्पादकता की समानता पर अपनी चिंता व्यक्त की कि यद्यपि भारत उत्पादन में विश्व चार्ट में शीर्ष पर है, लेकिन प्रति पशु उत्पादकता बराबर नहीं है और पशु पोषण महत्वपूर्ण कारकों में से एक है.
नस्ल सुधार पर दिया जोर
उन्होंने नस्ल सुधार कार्यक्रम और ब्रीडर फार्म, न्यूक्लियस फार्म, आईवीएफ और सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक को तेजी से बढ़ावा देकर स्थानीय/स्वदेशी नस्लों के संरक्षण और नस्ल सुधार की दिशा में विभाग के नेतृत्व पर जोर दिया. कहा कि पिछले वर्षों में टीकाकरण जैसे विभिन्न तरीकों से पशुधन रोगों से उबरने की विभाग की यात्रा का भी पता लगाया, जिससे पशुधन किसानों के लिए इसे और अधिक किफायती और सुलभ बनाया जा सके.
चारे की खेती का क्षेत्र बढ़ाने की जरूरत
इसके बाद उन्होंने पशुओं के लिए चारे और चारे पर जोर देते हुए कहा कि चारे की खेती के तहत क्षेत्र को बढ़ाकर चारे की उपलब्धता और उत्पादन को बढ़ाना समय की मांग है, और मौजूदा योजना के दिशानिर्देशों में सामान्य को शामिल करके जमीनी कार्य पहले से ही शामिल है. उन्होंने कहा कि चारा उद्योग को एक उभरते हुए व्यावसायिक अवसर के रूप में लेने की जरूरत है.
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