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जैसलमेर-बाड़मेर में हाईटेंशन लाइन को क्यों कहते हैं ‘शिकारी तार’, सुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है ये आदेश

Wildlife Institute of India,
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर में जल संकट पहले से ही पशुओं के जीवन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. ऊपर से बिजली के तार हर रोज मौत का कारण बन रहे हैं. यही वजह है कि इन जिलों में इन हाईटेंशन लाइनों को ‘शिकारी तार’ तक कहा जाने लगा है. साल 2020 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से जैसलमेर जिले के करीब 4000 वर्ग किमी क्षेत्र में कराए गए सर्वे के मुताबिक केवल जैसलमेर जिले में 87 हजार 966 पक्षियों की बिजली के तारों से टकराने और करंट की चपेट में आने से मौत हुई. गोडावण की सुरक्षा को लेकर हुए इस सर्वे में सामने आया कि जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क (राष्ट्रीय मरू उद्यान) इलाके के लगते क्षेत्र में एक साल में इन पक्षियों की मौत हुई हैं.

राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर के थार के रेगिस्तान से लेकर गुजरात के कच्छ तक हाईटेंशन लाइने परिंदों की जान की दुश्मन बनी हुई हैं. जैसलमेर जिले के में कराए गए सर्वे के मुताबिक केवल जैसलमेर जिले में 87 हजार 966 पक्षियों की बिजली के तारों से टकराने और करंट की चपेट में आने से मौत हुई.

सौर और पवन ऊर्जा के बढ़ने के कारण फैल गया हे जाल
रिपोर्ट के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन तारों को भूमिगत करने के आदेश दिए थे, लेकिन लंबा अरसा बीतने के बाद भी इस पर संबंधित विभाग ने ध्यान दिया. सौर व पवन ऊर्जा के बढ़ते जाल में अब हाल यह हो गया है कि रेगिस्तान में हाईटेंशन लाइनों का जाल बिछता गया और इसके शिकार पक्षी हो रहे हैं. बाड़मेर व जैसलमेर में सौर और पवन ऊर्जा का जाल बढ़ता जा रहा है.

ये था सर्वोच्च न्यायालय का आदेश
साल 2020 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से जैसलमेर जिले के करीब 4000 वर्ग किमी क्षेत्र में कराए गए सर्वे के मुताबिक केवल जैसलमेर जिले में 87 हजार 966 पक्षियों की बिजली के तारों से टकराने और करंट की चपेट में आने से मौत हुई. इसके बाद ये मामला देश की सर्वोच्च न्यायलय में पहुंच गया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को आदेश दिया था कि इन तारों को जमीन में दबाया जाए ताकि इन दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों की जान बचाई जा सके. पांचों बिजली कंपनियों को इसके लिए पाबंद भी किया गया, लेकिन बिजली कंपनियों ने इसको लेकर अभी तक गंभीरता नहीं दिखाई है. कंपनियों की ओर से उच्चतम न्यायालय में बिजली लाइनों को भूमिगत करने का खर्चा ज्यादा आने क तर्क दिया गया. इस पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल-2021 के आदेश को याद दिलाते हुए कहा था कि हाईटेंशन लाइनों को जमीन में गाड़ने की कार्रर्वा को गंभीरता से लिया जाए.

हर दिन होती है पक्षियों की मौत
पर्यावरणविद् भैराराम भाखर कहते हैं कि हाईटेंशन तारों की चपेट में आकर पक्षियों की मौत होना आम घटन हो गया है. बड़े पक्षी इसकी चपेट में आकर जल्दी मर जाते हैं. बाडमेर-जैसलमेर में डेजर्ट नेशनल पार्क भी हैं. जहां पर दुर्लभ पक्षी हैं. गोडावण इसमें से मुख्य है. इन तारों को जमीन में गाड़ा जाए तो पक्षियों की मौत नहीं होगी. पर्यावरण सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है.

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