नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में खासतौर पर ब्रॉयलर मुर्गों के पालन में हर दिन उनका ख्याल रखना होता है. आमतौर पर मुर्गे 40 दिन में तैयार हो जाते हैं और इनका वजन डेढ़ से 2 किलो तक हो जाता है, तभी इन्हें मीट के तौर पर बेच दिया जाता है और इससे पोल्ट्री फार्मर को कमाई होती है, लेकिन उनका ख्याल दिनों के हिसाब से रखना चाहिए. मतलब हर दिन ध्यान देने की जरूरत होती है. अगर ऐसा न किया जाए तो पोल्ट्री फार्मर्स को इससे नुकसान हो सकता है. मुर्गों में मृत्युदर भी दिख सकती है.
ब्रॉयलर मुर्गों से अपेक्षित फायदा उठाने के लिए उनका हर दिन ख्याल रखना ही पड़ता है. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि ब्रॉयलर मुर्गों की हर दिन की जरूरतें अलग-अलग होती हैं. जिस वजह से उन पर ध्यान देने की जरूरत होती है. वहीं मौसम के हिसाब से भी उनकी देखरेख करना बेहद जरूरी होता है. ठंड में अलग तरह से देखरेख की जरूरत होती है. जबकि गर्मी में अलग तरीके से देखरेख की जाती है.
24वें दिन मुर्गों की होती है मौत
अगर बात की जाए गर्मियों में ब्रॉयलर मुर्गों में होने वाली मृत्युदर की तो आमतौर पर जब यह बिल्कुल तैयार होने की पोजीशन में आ जाते हैं, यानी 1 से 2 हफ्ते के अंदर इन्हें बेचने की तैयारी की जाती है तब इनमें मृत्युदर भी दिखाई देती है. अक्सर 24वें दिन फार्म के अंदर मुर्गे मरे हुए मिलते हैं. इस टाइम पर खासतौर से गर्मी में ज्यादातर फार्मर्स के फॉर्म में मुर्गे पैर पीछे के साइड में करके मरता है. या फिर उल्टा होकर मर जाता है. यह दिक्कत जब फार्मर्स के फॉर्म में देखने को मिले तो सतर्क होने की जरूरत है. जबकि अगली फार्मिंग में ऐसा न हो, इसके लिए जरूरी है कि पहले से सावधानी बरती जाए, नहीं तो नुकसान होता ही रहेगा.
रात में करें मुर्गों की देखरेख
इस समस्या को खत्म करने के लिए कुछ फार्मर्स मुर्गों को दिन में दही इस्तेमाल कराते हैं. वहीं कुछ दूसरे प्रोडक्ट्स भी देते हैं. ताकि मुर्गों को गर्मी से राहत मिले और उन्हें ठंड महसूस हो. अगर आप पोल्ट्री फार्मिंग के मैनेजमेंट में कुछ बदलाव करें तो इससे ज्यादा अच्छा रिजल्ट ले सकते हैं. इसके लिए दोपहर में मुर्गों को कोई भी इस तरह की चीज न दें. बल्कि कुछ भी काम न करें. क्योंकि मुर्गा दिनभर की गर्मी से अपनी बॉडी को रिकवर कर लेता है, लेकिन रात में उसे देखभाल की जरूरत होती है. रात में फीडर में फीड डाल दिया जाना चाहिए. ड्रिंकर को साफ करके उसमें पानी डाल देना चाहिए. ये प्रक्रिया या तो सुबह-सुबह करिए या फिर रात में करिए. इससे मुर्गों में मृत्यु दर कम हो सकती है.
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