नई दिल्ली. ऊंट पालने वाले पशुपालकों को पता ही होगा कि इस जानवर को खारा जाल, मीठा जाल, कुमुट, अरडू, सिरुस, सीसम, रोहिड़ा, बरगद, पीपल, झाड़ियों में पाला (बेरी / बोरड़ी), मुराल, फोग, केर, खोप, विलायती बबूल, बावली, लाणा, घासों में सेवन, धामन, भुरट, ग्रामना, गंठिया, छोटी झाड़ी में बुई, ऊंट कंटालो, मौसमी चारों में कांटी, बेकरिया, चम घास, चिनावरी, कागा रोटी आदि बहुत पसंद है. यही ऊंट के पारम्परिक आहर स्रोत हैं. जिन्हें वे बड़े ही चाव से खाते हैं. इन चार सोर्स में कई औषधीय गुण भी होते हैं.
चराई क्षेत्र सीमित होने के कारण मौजूदा वक्त में पशु पालक ऊंटों का कई फसल अवशेषों पर ही पालन करने लगे हैं जैसे मोठ चारा, ग्वार फलगटी, मूंगफली चारा, चने की खार इत्यादि. ऊंट के दूध में विशेष औषधीय गुण इन प्राकृतिक स्रोतों के कारण ही पाए जाते हैं. हालांकि दुधारू ऊंटनियों को स्थानीय हरे चारे भी दिए जाने चाहिए.
प्रोटीन की कमी इन चारा सोर्स से पूरी करें
दूध उत्पादन की प्रक्रिया में दुधारू पशु के शरीर से कैल्शियम, फॉस्फोरस और कई प्रकार के सूक्ष्म लवण जैसे कॉपर, जिंक, लोहा इत्यादि दूध के जरिए निकल जाते हैं. जबकि ऊंट का आहार वृक्षों, झाड़ियों की पत्तियों, तने की छाल होने के कारण उसमें अधिक टेनिन एवं लिग्रिन रहता है. जिसकी वजह से पशु को प्रोटीन सीधे नहीं मिल पाता लेकिन दूध में इन पौष्टिक गुणों की मात्रा बराबर बनी रहती है. इस कमी को पूरा करने के लिए जरूरी है कि दुधारू ऊंटनियों के उत्पादन स्तर को देखते हुए प्रतिदिन 400-500 ग्राम प्रति मिश्रित आहार (दाना) प्रति किलो दूध देना चाहिए. ताकि उत्पादन क्षमता में सुधार हो सके. वरना उत्पादन धीरे-धीरे कम होने लगता है.
बाजार से खरीदकर भी दे सकते हैं ये आहार
एक्सपर्ट का कहना है कि मिश्रित आहार घरेलू स्तर या बाजार से घटक, घर लाकर भी बनाया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि इन घटकों की पीसाई के लिए उचित प्रबंध अन्यथा कूट कर चूरा बना लें. घरेलू स्तर पर उपलब्ध स्रोतों में विशेषकर पश्चिमी राजस्थान में सिरस की फली, बबूल की फली और खेजड़ी की पत्ती को बराबर मात्रा में लें, उसमे खनिज मिश्रण (मिनरल मिक्सचर) व नमक मिलाकर दूध देने से पूर्व मिश्रित आहार के रूप में दिया जा सकता है. साधनों की उपलब्धता यदि हो तो सरसों व मूंगफली बिनोला की खली, मक्का, जौ, बाजरा, मूंग चूरी, मोठ चूरी, गेहूं चोकर के साथ खेजड़ी पत्ती मिलाकर इस्तेमाल करें. घरेलू स्तर पर बनाये गये मिश्रित आहार के अच्छे परिणाम देखे गए हैं. संसाधनों के भंडारण करने के लिए भी नमी रहित स्थान की जरूरत होगी. बाजार में भी चूरा एवं पैलेट के रूप में, कई तरह के आहार उपलब्ध है जिन्हें दुधारू पशुओं को दिया जा सकता है.
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