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भीषण गर्मी बन रही चिंकारा के लिए काल का सबब, अकाल मौत से वन विभाग में मचा हड़कंप

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बीमार हिरण को हाथ में उठाए एक व्यक्ति दूसरी ओर हिरण की मौत के बाद उसे देखते वन्य जीव प्रेमी सुमेर सिंह भाटी.

नई दिल्ली. भीषण गर्मी ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. इसका असर जानवरों पर भी हो रहा है. पालतू जानवरों के लिए उनके पालक व्यवस्था कर रहे हैं लेकिन उन जानवरों पर क्या बीत रही है, जो जंगल में बिना किसी सहारे के जीवन यापन कर रहे हैं. अब तो सूरज ने ऐसी आग उगलना शुरू कर दी है कि जंगली जानवर आपनी जान से भी हाथ धो रहे हैं. यही वजह है कि पश्चिमी रजस्थान के जैसलमेर-बाड़मेर के जंगलों में हर गर्मी क कारणस रोज चिंकरा की मौत हो रही है. इसे लेकर स्थानीय लोग परेशान हैं तो प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे. अगर प्रशासन रेगिस्तान में जगह-जगह पानी की व्यवस्था कर दे तो इनकी अकाल मौत नहीं होगी.

इस बार पड़ रही भीषण गर्मी से हाल-फिलहाल लोगों को राहत मिलती नहीं दिख रही. इसका असर आम लोगों से लेकर पशु-पक्षियों पर पड़ रहा है. हालात ये हो गए हैं कि हर रोज जंगलों में पशु-पक्षी मर रहे हैं. जानवरों के लिए उमस और गर्मी की मार अब असहनीय होती जा रही है. वेस्ट राजस्थान की बात करें तो ये गर्मी राज्य पशु चिंकारा के लिए जानलेवा साबित हो रही है. भीषण गर्मी के कारण तीन दिन में पांच मादा हिरने मौत का शिकार हो गईं. हिरणों का इस तरह अकाल मौत ने वन विभाग वन्य जीव को चिंता में डाल दिया. वही वन्य जीव प्रेमी भी असहज हो रहे हैं. जैसलमेर जिले में हाल में हुई वन्य जीवों की गणना में भी सर्वाधिक के अनुमानित बीस हजार से अधिक चिंकारा पाए गए हैं. इनकी सुरक्षा के लिए कोई माकूल प्रबंध न होने की वजह से इनकी मौत हो रही है.

हर रोज मर रहे चिंकारा, चिंता का सबब
वन्य जीव प्रेमी सुमेर सिंह सांवता ने बताया कि जैसलमेर के लखासर, रासला, साँवता, लाठी, धोलिया आदि वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र में चिंकारा हिरने तड़फ तड़फ कर दम तोड़ रही है. वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र में चिंकारा की अकाल मौत से वन्य जीव प्रेमी बहुत ज्यादा परेशान हैं. चिंकारों की मौत का कारण पता नही चल रहा है. उमस और गर्मी से गर्भवती मादा हिरने ज्यादा असहज हैं. पिछले तीन दिनों में पांच मादा हिरणों की मौत हो गई. सूचना पर पहुंचे वनकर्मियों ने उन्हें दफनाया दिया. उन्होंने कहा कि चलो हिरणों की मौत हो रही है. इस बारे में वन विभाग को भी पता है लेकिन हिरनों की मौत का कारण जाने बिना ही उन्हें दफनाया जा रहा है जबकि जब तक पोस्टमार्टम नहीं होगा तो मौत का कारण पता नहीं चल पाएगा.

अंदरूनी भाग में पानी का न होना भी है कारण
एक मीडिया हाउस को बताते हुए राष्ट्रीय मरू उद्यान,वन्य जीव के उप वन सरंक्षक आशीष व्यास ने कहा कि चिंकरा के मरने का मुख्य कारण अंदरूनी भागों में पानी नहीं पहुंच पाना है. इस कारण हिरन ग्रामीण क्षेत्रो की और पलायन कर रही हैं. दम भी तोड़ रहे हैं. वन क्षेत्र में वन्य जीवों के लिए पानी की व्यवस्था कर दी गई है. निरन्तर टैंकरों से पेयजल आपूर्ति हो रही है. इसके बावजूद हिरणों की मौत का कारण प्रथम दृष्टि से असहनीय गर्मी है. फिर भी पोस्टमार्टम के बाद ही असली कारण सामने आएंगे.

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