नई दिल्ली. आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) में शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग मछलियों को देखने के लिए इकट्ठा हुए. यहां जमा हुए लोगों में ज्यादातर छात्र थे. जहां पर छात्रों और अन्य लोगों ने हंपेड रैसी, व्हेल शार्क, कीमती मोती और बहुत कुछ जैसी विशाल मछलियों को देखा. दरअसल, ये नजारा सीएमएफआरआई के 77वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित ओपन हाउस प्रदर्शनी का था. जहां लोगों को मरीन बायोडायवर्सिटी के चमत्कारों की झलक देखने को मिली. बताते चलें कि इस अवसर पर संग्रहालय, प्रयोगशालाएं, समुद्री मछलीघर, पुस्तकालय, हैचरी और कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र जनता के लिए खोले गए थे.
संरक्षण के प्रति जागरुकता को बढ़ावा देने के लिए बैज
वहीं प्रदर्शनी में वैज्ञानिक जानकारी द्वारा समर्थित 3डी समुद्री प्रजातियों के मॉडल के साथ संग्रहालय में एक इंटरैक्टिव डिस्प्ले बोर्ड एक बड़ी सफलता थी, जिससे आगंतुकों को समुद्री जैव विविधता का क्विक ओवरव्यू देखने को मिला. वहीं विलुप्त होने का सामना कर रहे समुद्री संसाधनों सहित समुद्री संसाधनों के संरक्षण का संदेश देने वाले सचित्र बैज का वितरण प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण था. छात्रों ने ये बैज पहने और एक नए जागरुकता अभियान का हिस्सा बने. प्रयोगशालाओं में हैमरहेड शार्क, टाइगर शार्क, पेपर शार्क, स्टिंग्रेज़, गिटारफ़िश और विभिन्न प्रकार की शेलफ़िश सहित मछलियों की विभिन्न प्रजातियाँ प्रदर्शित की गईं.
लोगों को किया अट्रैक्ट
पर्यटक फ़िनफ़िश और शेलफ़िश संसाधनों जैसे उड़ने वाली मछली, डॉल्फ़िन मछली, शार्क और किरणों की दुर्लभ प्रजातियाँ, विशाल बाघ झींगा और विशाल आकार के केकड़े के शो से भी आकर्षित हुए. प्रदर्शनी में समुद्री सजावटी किस्में, मोती, मोती सीप, स्क्विड जिग्स, मैंग्रोव की विभिन्न किस्में, समुद्री शैवाल, मूंगा आदि भी पेश किए गए. मछली के ओटोलिथ से बने कान के छल्ले ने भी जनता का ध्यान आकर्षित किया.
प्रयोगशालाएं भी खोली गईं
पिंजरे में मछली पालन, एकीकृत मल्टी-ट्रॉफिक एक्वाकल्चर सिस्टम (आईएमटीए), और रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) के मॉडल जनता के सामने प्रदर्शित किए गए. समुद्री प्रजातियों के आनुवंशिक रहस्यों पर प्रकाश डालने वाले अनुसंधान कार्य भी प्रदर्शन पर थे. कार्यक्रम के दौरान आणविक जीव विज्ञान, बायोप्रोस्पेक्टिंग, सेल संस्कृति, मत्स्य जीव विज्ञान, पर्यावरण अनुसंधान, जलवायु परिवर्तन, महासागर अम्लीकरण आदि से संबंधित प्रयोगशालाएं भी जनता के लिए खोली गईं.
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